ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) विदेशी निवेशकों से सिंडिकेटेड ऋण के तौर पर 70 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना बना रही है। इससे कंपनी को विदेशी बाजारों में ब्याज दरों की लाभ का लाभ उठाने और अपने पुराने ऋण की अदायगी करने में मदद मिलेगी। कंपनी ने बैंकों को इस पेशकश में भाग लेने के लिए अपने प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया है। इसमें 20 करोड़ डॉलर का ग्रीन शू ऑप्शन भी शामिल है।
कंपनी को इस पेशकश में कई बैंकों के शामिल होने की उम्मीद है क्योंकि उसकी पिछली पेशकश के लिए निवेशकों की ओर से जबरदस्त मांग दिखी थी। लेनदेन के एक करीबी बैंकर ने कहा कि इस सिंडिकेटेड ऋण का मूल्य लिबर के मुकाबले करीब 100 आधार अंकों पर निर्धारित होने की उम्मीद है।
बैंकर ने कहा, ‘भारत की अच्छी रेटिंग वाली कंपनियों की जबरदस्त मांग है और ओएनजीसी विदेश को इसका लाभ मिलेगा। इसके अलावा उसे दरों में नरमी का भी फायदा होगा जिसमें इस साल जनवरी के बाद लगातार सुस्ती बरकरार है।’ बैंकर ने कहा कि इससे पहले कंपनी ने इसी साल मार्च में ऋण के जरिये लगभग इतनी ही रकम जुटाई थी। ओएनजीसी विदेश भारती प्रमुख तेल एवं गैस कंपनी ओएनजीसी की निवेश इकाई है। उसने दुनिया के कई तेल एवं गैस क्षेत्रों में निवेश किया है। ओवीएल की नजर अपने मौजूदा ऋण की लागत को उपयुक्त बनाने पर है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, ओवीएल पिछले कई वर्षों से विदेशी तेल एवं गैस परिसंपत्तियों में निवेश कर रही है। वह उन परिसंपत्तियों में या तो सीधे तौर पर अथवा अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों अथवा संयुक्त उद्यम कंपनियों के जरिये निवेश करती है। फिलहाल ओवीएल ने 17 देशों की 37 परियोजनाओं में निवेश कर रखा है जिनमें से 14 परियोजनाएं उत्पादन कर रही हैं।
इक्रा ने कहा, ‘हालांकि ओएनजीसी विदेश के शीर्ष तीन निवेश (मोजाम्बिक, रूस और ब्राजील) में ही उसके निवेश का अधिकांश हिस्सा है। ओएनजीसी विदेश का कुल तेल एवं तेल समतुल्य गैस उत्पादन 2019-20 में 1.498 करोड़ टन तेल समतुल्य था जो वित्त वर्ष 2020-21 में 1.483 करोड़ टन तेल समतुल्य रहा।’ वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के दौरान ओवीएल का राजस्व बढ़कर 40.75 अरब रुपये हो गया जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 23.96 अरब रुपये रहा था। जून 2021 में समाप्त तिमाही के दौरान उसका कर पश्चात लाभ 9.15 अरब रुपये रहा जबकि जून 2020 में उसे 3.34 अरब रुपये का घाटा हुआ था।