खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने वाला डिजिटल नेटवर्क – ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) इस महीने जनता के लिए खुलने वाला है। खुदरा और थोक दोनों ही ग्राहकों के पास इस नेटवर्क पर पंजीकृत किसी भी विक्रेता से खरीदने का विकल्प होगा। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि नेटवर्क को एक अवधारणा के रूप में विकसित होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि यह दुनिया में इस तरह का पहला कार्यक्रम है। यह उपभोक्ताओं को ऑनलाइन खरीदारी करने का एक और विकल्प उपलब्ध कराएगा। इस नेटवर्क की खासियत यह है कि सभी खरीदारों को सभी विक्रेता मिल जाएंगे, भले ही वह प्लेटफॉर्म कोई भी हो, जिससे वे ओएनडीसी के विक्रेता आधार तक पहुंचते हैं।
आसान शब्दों में कहें, तो अगर कोई खरीदार पेटीएम से ओएनडीसी पर पहुंचता है, तो वह जिस उत्पाद की तलाश कर रहा है, उसे न केवल पेटीएम के विक्रेताओं के, बल्कि स्नैपडील और ओएनडीसी पर पंजीकृत अन्य विक्रेताओं के उत्पाद भी देख सकता है।
ईवाई इंडिया के नैशनल लीडर (उपभोक्ता उत्पाद और खुदरा) ए भट्टाचार्य ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मार्केटप्लेस एक ऐसे चरण में विकसित हो चुके हैं, जहां सूचीबद्धता और तलाश में खरीद की प्रमुख भूमिका होती है। दृश्यता में शीर्ष ब्रांडों को विषम हिस्सा प्राप्त होता है, जो ओएनडीसी के तहत ब्रांडों के बड़े वर्ग के लिए एक समान हो सकता है। यह नेटवर्क निश्चित रूप से विक्रेताओं और ब्रांडों के लिए लोकतंत्रीकरण और पहुंच का विस्तार करने के लिए है। अब तक ओएनडीसी में 17 वित्तीय संस्थानों की संयुक्त रूप से हिस्सेदारी है।
छोटे विक्रेता (किराना, खिलौना विक्रेता और परिधान की दुकानों सहित) इस नेटवर्क पर हिस्सा ले सकेंगे और ई-कॉमर्स का दायरा उनके लिए अधिक सुलभ हो जाएगा। इसके अलावा उपभोक्ताओं या विक्रेताओं के लिए कोई प्लेटफॉर्म लॉक-इन नहीं है। यह इस धारणा को खत्म कर देता है कि कुछ उत्पाद खास तौर पर एक मंच पर ही उपलब्ध होते हैं।
उत्पाद विनिर्माताओं तथा विक्रेताओं को और अधिक प्रतिस्पर्धी दामों तथा सेवाओं की पेशकश करनी होगी, जिसका मतलब होगा – उपभोक्ता के लिए बेहतर सौदे। ग्राहक अनुभव के संबंध में भट्टाचार्य ने कहा कि ग्राहक अनुभव का निर्माण करना एक ऐसी यात्रा है, जिसे ओएनडीसी को सभी श्रेणियों में शामिल करने की जरूरत होगी। सही डेटा और नजरिया तैयार करने में कुछ समय लगने के आसार हैं। किसी भी मंच को आदान-प्रदान करने के लिए उपभोक्ता की अपेक्षाओं और दायित्वों की जरूरत होगी और इसे स्थिर होने में कुछ साल लग सकते हैं।
डेलॉयट के साझेदार रजत वाही का मानना है कि गुणवत्ता और वास्तविक उत्पादों को सुनिश्चित करने, प्रचार और छूट की पेशकश करने आदि के लिए के लिए विक्रेता को शामिल किए जाने और सत्यापन की निगरानी की आवश्यकता होगी। इसके अलावा नेटवर्क पर दायरा और वर्गीकरण, मूल्य निर्धारण और उत्पाद की जानकारी तथा डेटा की गोपनीयता वगैरह का ध्यान रखने की भी जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि ओएनडीसी उपभोक्ताओं के लिए खरीदारी के वास्ते उपलब्ध होने वाली किसी अन्य साइट या प्लेटफॉर्म की तरह काम करेगा। वह यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी विक्रेताओं की उपभोक्ताओं तक पहुंच हो और इसे बढ़ाने में समय लगेगा।
वाही ने कहा कि यह निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के लिए फायदे की स्थिति है, क्योंकि यह समय के साथ-साथ काफी बड़ा नेटवर्क बन सकता है क्योंकि अधिक से अधिक विक्रेता और खरीदार इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे।