ओला इलेक्ट्रिक ने फाल्कन एज, सॉफ्टबैंक व अन्य निवेशकों की अगुआई में 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा जुटाए हैं और उसका मूल्यांकन तीन गुना होकर 3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
जुलाई 2019 में ओला इलेक्ट्रिक ने मासायोशी सोन के सॉफ्टबैंक से 25 करोड़ डॉलर जुटाए थे। उस समय यह कंपनी महज दो साल पुरानी थी। इस निवेश ने कंपनी को यूनिकॉर्न बना दिया था, जिसका मतलब ऐसा स्टार्टअप जिसका मूल्यांकन 1 अरब डॉलर से ज्यादा हो।
ओला अन्य वाहन प्लेटफॉर्म मसलन इलेक्ट्रिक मोटरबाइक, मास मार्केट स्कूटर और इलेक्ट्रिक कार के विकास को रफ्तार देगी। इस फंडिंग से ओला के इलेक्ट्रिक मिशन को और मजबूती मिलेगी, जो उद्योग व उपभक्ताओं से अनुरोध कर रहा है कि वे इलेक्ट्रिक वाहनों चुनें और सुनिश्चित हो कि 2025 के बाद भारत में पेट्रोल वाली कोई दोपहिया नहीं बिकेगी।
ओला के चेयरमैन व ग्रुप सीईओ भाविश अग्रवाल ने कहा, भारत से लेकर पूरी दुनिया में हम इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर क्रांति की अगुआई करते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत के पास पूरी दुनिया के भविष्य के उद्योग के लिए प्रतिभा और तकनीक बनाने की क्षमता है। हम मिलकर अरबों के लिए मोबिलिटी लाएंगे और भविष्य के लिए स्थायित्व। यह रकम ऐसे समय मेंं जुटाई गई है जब ओला पहले से ही 15 करोड़ डॉलर से ज्यादा का स्कूटर बेचकर दोपहिया में बेंचमार्क स्थापित कर चुकी है और पूरी बिक्री महज दो दिन में हुई। ओला इलेक्ट्रिक ने अपनी फ्यूचर फैक्टरी बनाई है, जो दुनिया की सबसे बड़ी और ज्यादा आधुनिक दोपहिया फैकटरी है और पहले चरण का निर्माण पूरा हो चुका है जबकि अभी उत्पादन का ट्रायल चल रहा है। ओला ने 6 महीने की रिकॉर्ड अवधि में फैक्टरी तैयार की है। ओला की फ्यूचर फैक्टरी दुनिया की सबसे बड़ी फैक्टरी है, जिसका परिचालन पूरी तरह से महिलाएं करेंगी। पूरी क्षमता से उत्पादन पर इस फैक्टरी में 10,000 से ज्यादा महिलाएं नौकरी पर होंगी।
ओला ने दिसंबर 2020 में ऐलान किया था कि वह फैक्टरी के पहले चरण के निर्माण पर 2,400 करोड़ रुपये निवेश करेगी। ओला की फैक्टरी तमिलनाडु में 500 एकड़ जमीन पर बन रही है। पूरी क्षमता पर 1 करोड़ वाहन सालाना के उत्पादन के जरिए यह दुनिया की सबसे बड़ी दोपहिया फैक्टरी होगी और दुनिया की 15 फीसदी क्षमता संभालेगी।
भारत में ओला की सीधी प्रतिस्पर्धा दोपहिया निर्माताओं मसलन एथर एनर्जी, हीरो इलेक्ट्रिक, बजाज और टीवीएस मोटर कंपनी से है। ओला में नई फंडिंग ऐसे समय में आई है जब इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने का चलन भारत में बढ़ रहा है और पहले सात महीने में ज्यादा वाहन बिके हैं, जितने साल 2020 में पूरे साल में नहीं बिके थे।
ईवी निर्माताओं ने जनवरी से जुलाई के बीच सभी श्रेणियों मे 1,21,170 वाहनों की बिक्री की जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष में 1,19,647 वाहनों की बिक्री हुई थी। यह जानकारी सरकारी वाहन प्लेटफॉर्म से मिली।
गुरुवार शाम एक ट्वीट में अग्रवाल ने कहा, भारत भविष्य की तकनीक बना रहा है और वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन केंद्र बन रहा है।
