महंगे विमानन ईंधन और यात्रियों की संख्या में आ रही कमी की वजह से वित्तीय संकट से जूझ रही विमानन कंपनियों को सरकार से कुछ राहत मिली है।
विमानन कंपनियों को तेल कंपनियों का बकाया भुगतान करने के लिए मार्च, 2009 तक की मोहलत मिल गई है। यही नहीं, विमानन कंपनियों के पास इस बकाए रकम को मासिक किस्तों में भुगतान करने का विकल्प भी होगा। उल्लेखनीय है कि विमानन कंपनियों पर तेल कंपनियों का करीब 2,500 करोड़ रुपये बकाया होने का अनुमान है।
तेल कंपनियों के हितों को प्रभावित किए बिना विमानन कंपनियों को संकट से उबारने के लिए पेट्रोलियम मंत्री ने नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल सहित विमानन कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की, जहां इस बात का फैसला लिया गया। पटेल ने बताया कि बैठक में निर्णय किया गया है कि तेल कंपनियां विमानन ईंधन पर ऋण की अवधि 60 दिन से बढ़ाकर 90 दिन करेंगी, जो मार्च, 2009 तक लागू है।
इसके अलावा, विमानन कंपनियों को मार्च, 2009 तक अपनी बकाया राशि समान मासिक किस्तों में अदा करने की भी अनुमति दी गई है। इसके साथ ही विमानन ईंधन की कीमतों की समीक्षा हर 15 दिन पर करने की बात कही गई। अब तक इसकी समीक्षा हर 30 दिन पर की जाती रही है।
किंगफिशर एयरलाइंस के चेयरमैन विजय माल्या, जेट एयरवेज के कार्यकारी निदेशक एस.के. दत्ता और एयर इंडिया के अध्यक्ष रघु मेनन ने भी इस बैठक में मौजूद थे। दरअसल, ये सभी लंबे समय से एटीएफ कीमतों की समीक्षा और बकाए राशि के भुगतान की तिथि बढ़ाने पर विचार करने की मांग कर रहे थे।
बैठक में पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अधिकारियों और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
विमानन ईंधन बकाए के लिए मार्च, 2009 तक की मोहलत
विमानन कंपनियां छह मासिक किस्तों में कर सकेंगी बकाए राशि का भुगतान
एटीएफ कीमतों की समीक्षा 15 दिन पर करने का निर्णय