डन एंड ब्राडस्ट्रीट (डी एंड बी) इंडिया ने हाल ही में कोलकाता में लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) की वृद्धि को लेकर एक सर्वे किया है।
‘इमर्जिंग एसएमईज: कोलकाता 2008’ नाम के इस सर्वे में कई बातें सामने आई हैं। इसके मुताबिक कोलकाता शहर में इंजीनियरिंग क्षेत्र में अगले दो साल में 38 फीसदी की सालाना राजस्व वृद्धि होगी। जबकि सर्वे में बताया गया है कि इस क्षेत्र की 18 फीसदी कंपनियों के सालाना राजस्व में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
शहर में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इसी दौरान 33 फीसदी राजस्व वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं (आईटीईएस)बीपीओ में 57 फीसदी राजस्व वृद्धि का और टेक्सटाइल कंपनियों की सालाना राजस्व वृद्धि 35 फीसदी होने की बात इस सर्वे में की गई है। इस सर्वे में 342 कंपनियों को शामिल किया गया जिसमें से 164 इंजीनियरिंग क्षेत्र की, 29 खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की, 52 आईटी और आईटीईएस क्षेत्र की और 97 टेक्स्टाइल क्षेत्र की कंपनियां शामिल थीं।
इन कंपनियों में भी इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की उन्हीं कंपनियों को शामिल किया गया जिनका सालाना बिक्री कारोबार एक करोड़ रुपये से 100 करोड़ रुपये के बीच है जबकि आईटी और आईटीईएस क्षेत्र की उन कंपनियों के लिए यह स्तर 50 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच रखा गया।डीएंडबी के इस सर्वे के मुताबिक पिछले दो साल में इंजीनियरिंग क्षेत्र की छोटी और मझोली इकाइयों में पिछले दो साल में 29 फीसदी की वृद्धि हुई।
इसमें उन कंपनियों को शामिल किया गया जिन्होंने अपनी क्षमता का औसतन 82 फीसदी उत्पादन किया। इनमें से 52 फीसदी कंपनियों ने ब्रांडेड उत्पादों को उत्पादन और विपणन किया। जबकि तकरीबन 56 फीसदी कंपनियों ने निर्यात भी किया। वहीं 11 फीसदी कंपनियों ने अपनी आमदनी का 50 फीसदी से भी अधिक निर्यात के जरिये कमाया।
कोलकाता में इंजनीनियरिंग की छोटी और मझोली इकाइयों ने खास तौर से एशियाई देशों को ही अधिक निर्यात किया। इनमें से भी सबसे अधिक पसंदीदा क्षेत्र के तौर पर मध्य पूर्व उभर कर आया।
हालांकि, 50 करोड़ से 100 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनियों ने सबसे अधिक निर्यात यूरोपीय देशों को किया।
वहीं दूसरी ओर कोलकाता में खाद्य और प्रसंस्करण की छोटी और मझोली इकाइयों की पिछले दो साल में वृद्धि दर 24 फीसदी रही और इन्होंने अपनी क्षमता के औसतन 87 फीसदी का इस्तेमाल किया। इनमें से 55 फीसदी कंपनियों ने निर्यात किया और 41 फीसदी कंपनियों ने अपनी आधे से ज्यादा कमाई निर्यात के जरिये की।
इसी तरह, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओबीपीओ की छोटी और मझोली इकाइयों ने पिछले दो साल में 41 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। यह किसी भी क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि है। इनमें से आधी कंपनियां निर्यात में शामिल रहीं। इन कंपनियों ने अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात किया। इस श्रेणी में 39 फीसदी कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, 29 फीसदी कंपनियां सॉफ्टवेयर उत्पादन करने वाली रहीं। सॉफ्टवेयर उत्पादन करने वाली कंपनियों ने निर्यात के जरिये अपनी आधी से भी ज्यादा कमाई की।
इस सर्वे में एक और बात सामने आई कि सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं के लिए बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनैंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस), विनिर्माण और दूरसंचार क्षेत्र ही सबसे ज्यादा कारोबार देने वाला रहा। इसी कड़ी में पिछले दो साल में कोलकाता में कपड़ा उद्योग की इकाइयों की वृद्धि 27 फीसदी रही और इन इकाइयों ने अपनी क्षमता का औसतन 90 फीसदी का इस्तेमाल किया।
इस क्षेत्र में गारमेटिंग क्षेत्र में सबसे ज्यादा तेजी आई। इनमें से 33 फीसदी कंपनियों ने ब्रांडेड उत्पादों का उत्पादन और विपणन किया। जिन कंपनियों ने सिल्क उत्पादों का निर्माण किया उनकी वृद्धि दर 44 फीसदी की रही जबकि सूती वस्त्र बनाने वाली कंपनियों की वृद्धि दर 35 फीसदी रही।
टैक्सटाइल कंपनियों में 65 फीसदी कंपनियों ने अपने उत्पाद निर्यात भी किए जबकि 40 फीसदी कंपनियों ने अपनी आधे से ज्यादा कमाई भी निर्यात के जरिये ही की। डीएंडबी के इस सर्वे के अनुसार इन इकाइयों ने सबसे ज्यादा उत्पाद यूरोपीय देशों को निर्यात किए। इस सूची में फिर अमेरिका और फिर पश्चिमी एशिया का नाम आता है।