बिजली क्षेत्र मध्य अवधि से लेकर दीर्घ अवधि तक के निवेश के आकर्षक अवसर पेश कर सकता है। आर्थिक सुधार बिजली के अधिक उपयोग से जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ होना चाहिए – इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 22) में 10 से 12 प्रतिशत की अधिक खपत।
आपूर्ति-शृंखला की दिक्कतों, कोयले और गैस के अधिक दामों ने ताप बिजली के मार्जिन को प्रभावित किया है। हालांकि कोयले की कीमतों में गिरावट और कोयले के स्टॉक में तेजी आने से स्थिति में कुछ हद तक राहत मिली है। पिछले वित्त वर्ष के कम आधार के मद्देनजर आधार-प्रभाव अनुकूल है।
ताप बिजली को अक्षय ऊर्जा के साथ रखने की सरकार की पहल से एनटीपीसी जैसी उत्पादकों को फायदा हो सकता है। सौर विनिर्माण उत्पादन-संबद्ध योजना का विस्तार 24,000 करोड़ रुपये तक करने से नया निवेश आ सकता है।
एक बड़ी चिंता यह है कि वितरण कंपनियों का बकाया फिर से बढऩा शुरू हो गया है, जिसके कारण प्राप्तियां अटकी हुई हैं तथा ज्यादा कार्यशील पूंजी की जरूरत है। एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी – एनटीपीसी रिन्युएबल एनर्जी (एनआरईएल) पर एक नजर डाली जानी चाहिए। किसी रणनीतिक निवेशक की तलाश करने और फिर आरंभिक सार्वजनिक पेशकश शुरू करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की यइ इकाई अगले साल रोड शो की योजना बना रही है। एनआरईएल के पास 2.09 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता है, जिसमें सौर, पवन और जल ऊर्जा शामिल है। अप्रैल-नवंबर में इसका उत्पादन 4,08.964 करोड़ यूनिट था। निर्माण के विभिन्न चरणों में इसकी 3.85 गीगावाट क्षमता है। इसका लक्ष्य वर्ष 2027 तक 35 गीगावाट क्षमता और वर्ष 2032 तक 60 गीगावाट क्षमता का है। इसके लिए बड़े पूंजीगत व्यय की आवश्यकता होगी। वर्ष 2022-23 में इसे 10 अरब हरित यूनिट उत्पादन की उम्मीद है। अगर यह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेती है, तो वर्ष 2032 तक एनटीपीसी समूह की क्षमता का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा अक्षय ऊर्जा का हो जाएगा।
इस विस्तार के लिए वित्त पोषण के अलावा परिसंपत्ति मुद्रीकरण में एनटीपीसी का लक्ष्य 15,000 करोड़ का है। यह दो अन्य सहायक कंपनियों – एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम और नॉर्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन को सार्वजनिक करने की योजना बना रही है। यह सेल के साथ संयुक्त उद्यम – एनटीपीसी-सेल पावर कंपनी से भी बाहर निकलेगी।
पवन और सौर ऊर्जा के अलावा एनआरईएल हरित हाइड्रोजन पर भी विचार कर रही है। व्यापक दृष्टि से कोई मांग की कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। अगले दशक के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की सामान्य वृद्धि मानकर एनटीपीसी के अनुमानों के अनुसार बिजली उत्पादन 1.4 लाख करोड़ यूनिट (वर्ष 2020-21 में) से बढ़कर 2.5 लाख करोड़ यूनिट (वर्ष 2029-30 में) हो सकता है।
देश की की अक्षय ऊर्जा क्षमता करीब 94 गीगावाट से बढ़कर 435 गीगावाट होने की संभावना है।
मूल्यांकन के लिहाज से देश की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा कंपनियों में से एक है अदाणी ग्रीन एनर्जी (एजीईएल) है, जिसका मौजूदा पोर्टफोलियो करीब 14 गीगावाट है और इसकी योजना वर्ष 2029-30 तक इसे 45 गीगावाट तक पहुंचाने की है।
