टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी के मूल्यांकन पर टाटा समूह और मिस्त्री फैमिली की गणना अलग-अलग है, लिहाजा इस मामले पर एक बार फिर दोनों पक्षकारों में कानूनी संघर्ष हो सकता है। टाटा समूह ने मिस्त्री की हिस्सेदारी का मूल्यांकन सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान 80,000 करोड़ रुपये बताया है, वहीं मिस्त्री समूह इसका मूल्यांकन 1.76 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद कर रहा है। इसमें टाटा समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर कीमतों में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखा गया है।
वकीलों ने कहा कि यह मानते हुए कि मिस्त्री ने टाटा के ब्रांड नाम की ऊंची कीमत लगाई है, मूल्यांकन एक जटिल कवायद है। डीएसके लीगल के मैनेजिंग पार्टनर आनंद देसाई ने कहा, ऐसी असूचीबद्ध कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन जटिल कवायद है। इसमें समय लग सकता है और विवाद का एक और पिटारा खुल सकता है।
टाटा ट्रस्ट्स के विशेष सलाहकार वी आर मेहता ने कहा कि मूल्यंकन को लेकर फैसला अब पूरी तरह से मिस्त्री परिवार पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, अब मिस्त्री परिवार को फैसला लेना है कि आखिर वे क्या करना चाहते हैं। इस फैसले के आधार पर और टाटा संस के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के आधार पर वे क्या प्रस्ताव रखना चाहते हैं। टाटा संस या टाटा ट्रस्ट इसी आधार पर अगले कदम का फैसला लेगा।
समूह कंपनियों की अनिश्चित स्थिति को देखते हुए मिस्त्री समूह के लिए टाटा संस से निकासी तेजी से अनिवार्य बन रही है। एसपी समूह की मूल कंपनी पहले ही बैंकों के पास 23,000 करोड़ रुपये के कर्ज पुनर्गठन के लिए आवेदन कर चुकी है। समूह ने करीब 10,000 करोड़ रुपये जुटाने और बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए कई परिसंपत्तियां सामने रखी है।
टाटा संस के शेयर विदेशी निवेशकों के पास गिरवी रखकर रकम जुटाने की एसपी समूह की पिछली कोशिश को टाटा समूह पहले ही नाकाम कर चुका है, जिसने तर्क दिया है कि एसपी समूह बिना उसकी सहमति के शेयर गिरवी नहीं रख सकता। टाटा समूह ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने शेयरों के गिरवी रखने पर रोक लगा दी।
एक सूत्र ने कहा, मिस्त्री फैमिली ने मूल्यांकन को लेकर आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की शर्तों पर सहमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, ऐसे समय में उन्होंने सहमति दी थी जब सबकुछ ठीक था। यह उन लोगों के लिए सबक है कि मौजूदा परिस्थितियों के संदर्भ में किस तरह से कानूनी समझौते पर बातचीत नहीं की जा सकती। जिस समय उन्होंने सभी शर्तों पर सहमति जताई थी तब किसी को भी पता नहीं था कि चीजें बाद में खराब हो जाएंगी।
