अगर आपके मोबाइल फोन का बिल अधिक आता है तो चिंता मत करिए। इस साल के अंत तक आपकी जेब पर मोबाइल के बिल का इतना असर नहीं पड़ेगा।
आने वाले कुछ महीनों में दूरसंचार कंपनियां कॉल रेट्स में लगभग 25-30 फीसदी की कटौती कर सकती हैं। यह फैसला इस साल के अंत तक लिया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय बैंडविड्थ की क ीमत में कमी, नई दूरसचांर कंपनियों की सेवाएं शुरू होने के कारण भी मोबाइल की कॉल दरों में कमी आने की उम्मीद है।
फिलहाल दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में कॉल दर सबसे कम हैं। अर्नस्ट ऐंड यंग के सहयोगी (जोखिम सलाहकार सेवाएं) मनीष पटेल ने बताया , ‘जैसे ही नई कंपनियां अपनी दूरसंचार सेवाएं शुरू करेंगी, वैसे ही कॉल दरों में कमी आने की संभावना काफी ज्यादा है। नई कंपनियां सब्सक्राइबरों की संख्या बढ़ाने के लिए कम दर पर कॉल मुहैया कराएंगी। ऐसे कंपनियों के औसत राजस्व प्रति सब्सक्राइबर बढ़ने की संभावना है।’
डेटाकॉम सॉल्यूशंस, यूनिटेक, श्याम सिस्टेमा, स्वॉम टेलीकॉम, एसटेल और लूप टेलीकॉम इसी साल के अंत से अपनी सेवाओं की शुरुआत करने वाली हैं। टाटा टेलिसर्विसेज और रिलायंस कम्युनिकेशंस देश भर में अपनी जीएसएम सेवाओं की शुरुआत करने जा रही हैं। आइडिया मुंबई, बिहार और उड़ीसा में पहले ही सेवाओं की शुरुआत कर चुकी है।
पटेल ने कहा कि नई कंपनियां सब्सक्राइबरों के लिए नई योजनाएं शुरू करेंगी। ऐसे में पुरानी कंपनियों को अपने सब्सक्राइबरों के लिए भी कॉल दरें घटानी होंगी। लेकिन इससे दूरसंचार कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा? यूरोप की दिग्गज हैंडसेट निर्माता कंपनी मैरिडियन मोबाइल्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी राजीव खन्ना ने बताया, ‘बाजार के मौजूदा हालात के मद्देनजर अगर दूरसंचार कंपनियां कॉल दरें घटाएंगी तो उन पर अतिरिक्त भर पड़ेगा। वह भी ऐसे समय में जब हैंडसेट्स बनाने वाली कंपनियां इनकी कीमत बढ़ाने की योजना बना रही हैं।’
जीएसएम सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों के प्रति सब्सक्राइबर से होने वाली औसत कमाई भी 9.8 फीसदी घटकर 239 रुपये हो गई है। जबकि जून 2008 में यह आंकड़ा 264 रुपये था। जबकि सीडीएमए ऑपरेटरों की कमाई भी मार्च में 159 रुपये थी , जो 12.6 फीसदी घटकर 139 रुपये हो गई है। इससे दूरसंचार कंपनियों की मुसीबतें तो बढ़ेंगी, लेकिन मोबाइल सब्सक्राइबरों को महंगाई में कुछ राहत मिलने की संभावना है।