अनिवासी कंपनियां कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में बढ़ती चुनौतियों के बीच अपनी विदहोल्डिंग कर खर्च के दायरे को लेकर दुविधा में पड़ गई हैं। कई अनिवासी कंपनियों को समय पर कम या शून्य विदहोल्डिंग कर प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया है जिसके कारण उनके राजस्वों से 40 फीसदी कर काटे जाने का जोखिम उत्पन्न हो गया है। विशेषज्ञों की राय में इसके कारण उनका कारोबार अव्यावहारिक हो गया है।
कारोबारियों को इस बात का इंतजार है कि वित्त मंत्रालय पिछले वर्ष की तरह ही उन्हें राहत प्रदान करेगा जब कोविड-19 महामारी की परेशानियों के मद्ïदेनजर विदहोल्डिंग कर प्रमाणपत्र की मियाद को तीन महीने बढ़ाकर 30 जून किया गया था। अनिवासी कंपनियां आयकर विभाग से विदहोल्डिंग कर प्रमाणत्र की मांग कर रही हैं। इसमें स्रोत पर कम या शून्य कर कटौती का विवरण होता है। आयकर विभाग आय के चरित्र, कर समझौता लाभों, अनुमानित नुकसानों आदि के आधार पर मामले दर मामले के हिसाब से कर देनदारी की गणना करता है।
कोविड-19 के प्रतिबंधों के कारण बहुत सारे आकलनों का जरूरी जानकारियों से मिलान नहीं हो पाया है और उसे तैयार तथा न्यून विदहोल्डिंग आवेदनों को दाखिल नहीं किया जा सका है। साथ ही, ऐसे मामलों में जिनमें आवेदन दाखिल किए जा चुके हैं, सीमित संसाधनों के कारण आयकर अधिकारी समय पर आवेदनों की प्रक्रिया को आगे बढ़ा पाने में सक्षम नहीं हैं।
इन चुनौतयों को देखते हुए विभिन्न प्रतिनिधियों ने सरकार से संपर्क कर 31 मार्च, 2021 तक के लिए लागू कर दरों की समयसीमा को विस्तारित करने और नकद प्रवाह की स्थिति से संबंधित अनिश्चितताओं का समाधान करने की मांग की है।
एक कर सलाहकार ने कहा, ’30 अप्रैल, 2021 से पहले न्यून विदहोल्डिंग कर प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर कर कटौती करने वाले अधिकारी अधिकतम हाशिये दरों पर कर कटौती करने को मजबूर हो जाएंगे जो कि 40 फीसदी के साथ उपकर जोड़ कर काटा जाएगा। विदेशी कंपनी होने के मामले में इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर भी जुड़ जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘न्यून कर कटौती प्रमाण पत्र (एलडीसी) को जारी करने में देरी होने पर कर निर्धारिती को अकारण ही वित्तीय झटका लगेगा जिसमें उनकी ओर से कोई गलती नहीं हुई है और पहले से चले आ रहे इस कठिन समय में उन्हें वित्तीय तनाव झेलना पड़ेगा।’ कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए देश के एक बड़े हिस्से में कठोर लॉकडाउन लागू है। पिछले एक महीने से कोविड के रोजाना 3 लाख से अधिक मामले आ रहे हैं और 4,000 से अधिक मौतें हो रही हैं।