सरकारी तेल कंपनियों को ओएनजीसी की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी पर उत्तराखंड के कर विभाग ने अतिरिक्त कर उगाहने की योजना रद्द कर दी है।
इससे सरकारी तेल कंपनियों को सब्सिडी देने के कारण बोझ तले दबी इस तेल उत्खनन क्षेत्र की दिग्गज ने राहत की सांस ली है। पिछले साल ओएनजीसी ने लगभग 22,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी थी। जबकि चालू वित्त वर्ष की दो तिमाही में ही कंपनी सरकारी तेल कंपनियों को लगभग 22,474 करोड़ रु पये की सब्सिडी दे चुकी है।
कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम ओएनजीसी के सब्सिडी पर कर नहीं वसूलेंगे।’ कर विभाग ने यह फैसला ओएनजीसी के उस आवेदन पर लिया है जिसमें कंपनी ने कर विभाग से उसकी तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी पर कर नहीं लगाने की मांग की थी।
ओएनजीसी का मुख्यालय देहरादून में है, इसीलिए कंपनी कर का भुगतान भी वही करती है। कंपनी ने कहा था कि सब्सिडी पर मिलने वाली राहत का कंपनी के राजस्व पर काफी असर पड़ता है। दरअसल ऐसा होने से कंपनी का कॉर्पोरेट कर कम हो जाता है।
जबकि सब्सिडी से सरकारी तेल कंपनियों की लागत कम हो जाती है। जिससे इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ता है और कर भी। कंपनी ने आवेदन में कहा, ‘यह पूरी प्रक्रिया कर रहित है और इसका कर विभाग के राजस्व पर कुछ भी असर नहीं पड़ेगा।’ ओएनजीसी उत्तराखंड में सबसे ज्यादा कर देने वाली कंपनी है।
इस साल कंपनी लगभग 8,000 करोड़ रुपये का कर भुगतान करेगी। कर विभाग के अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड में कर विभाग के पास जमा होने वाले कर में लगभग 90 फीसदी हिस्सेदारी ओएनजीसी की ही है। सरकारी तेल कंपनियों को ओएनजीसी सब्सिडाइज्ड कीमतों पर तेल मुहैया कराती है।