टाटा को उत्तराखंड आने का न्योता देने के बाद लगता है कि राज्य सरकार टाटा मोटर्स को पंतनगर औद्योगिक परिसर में अतिरिक्त जमीन देने और लीज किराए में कमी करने पर फैसला लेने की जल्दी में नहीं है।
वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में भी इस मामले पर कोई फैसला नहीं लिया गया है और इसे पूरी तरह से मुख्यमंत्री के ऊपर ही छोड़ दिया गया है। हालांकि अधिकारियों ने संकेत दिए कि इस बारे में अंतिम फैसला होने से पहले मंत्रालय के सामने सकारात्मक राय ही दी जाएगी।
टाटा मोटर्स ने उत्तराखंड में लगभग 1,000 एकड़ जमीन का लीज किराया 5 रुपये प्रति वर्ग मीटर से घटाकर 1 रुपये प्रतिवर्ग मीटर करने की मांग की है। इसके अलावा कंपनी ने हाउसिंग परियोजना के लिए 100-200 एकड़ अतिरिक्त भूमि की मांग भी की है।
पिछली कांग्रेस सरकार ने टाटा मोटर्स को पंतनगर औद्योगिक परिसर में लगभग 1,000 एकड़ जमीन कौड़ियों के भाव में दे दी थी। तब सरकार को लगा था कि टाटा अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना नैनो संयंत्र इस राज्य में स्थापित करेंगे।
सिंगुर में हो रहे विरोध के कारण टाटा ने इस परियोजना को वहां से हटाने के संकेत दिए हैं। अगर उत्तराखंड सरकार कंपनी की दोनों मांग मान लेती है तो मुमकिन है कि दुनिया की सबसे छोटी कार का निर्माण इसी राज्य में शुरू हो जाए।
राज्य का कृषि विभाग टाटा मोटर्स को अतिरिक्त भूमि देने का विरोध कर रहा है। लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने कंपनी से वादा किया था कि वह भविष्य में कंपनी को और भूमि मुहैया कराएगी। इस बात को लेकर सरकार असमंजस की स्थिति में है।
दरअसल सरकार की इस हालत की एक वजह यह भी है कि राज्य सरकार पहले ही टाटा को नैनो परियोजना उत्तराखंड में लगाने का न्योता देने के साथ ही संयंत्र के लिए सभी बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने की घोषणा भी कर चुकी है।
टाटा मोटर्स पंतनगर परिसर में पहले ही 1,000 करोड़ रुपये का निवेश कर 75 टन के एस ट्रकों का निर्माण कर रही है। कंपनी को पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के हिस्से की 1,000 एकड़ जमीन दी गई थी। इस इकाई से कंपनी सालाना 2.25 लाख ट्रकों का उत्पादन करती है।