घरेलू मांग के फिर से जोर पकडऩे और लौह अयस्कों की कीमतें कम होने से इस्पात कंपनियों ने सितंबर माह के लिए अपने दामों में कटौती कर दी है। देश की तीन बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनियों ने इस महीने कीमतें घटाने की बात कही है।
कोविड-19 की दूसरी लहर में मांग कमजोर होने के बाद जुलाई में कीमतों में गिरावट देखी गई थी। हालांकि अगस्त के महीने में चीन से होने वाली इस्पात आपूर्ति कम होने से वैश्विक एवं घरेलू बाजारों में इस्पात के दाम थोड़े बढ़ गए थे।
इस्पात विनिर्माण में कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होने वाले लौह अयस्क की सबसे बड़ी घरेलू उत्पादक कंपनी एनएमडीसी ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंजों को यह जानकारी दी कि वह इसकी कीमतों में करीब 1,000 रुपये प्रति टन की कटौती कर रही है। इस्पात के दाम में जून के उच्च स्तर से गिरावट का दौर देखा जा रहा है। फ्लैट इस्पात का बेंचमार्क हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) जून में 71,000 रुपये प्रति टन के स्तर तक पहुंच गया था। फ्लैट इस्पात का इस्तेमाल ऑटोमोबाइल एवं घरेलू उपभोग के उपकरणों में होता है। एक प्रमुख उत्पादक के मुताबिक एचआरसी के भाव फिलहाल 67,000 रुपये प्रति टन के स्तर पर हैं।
क्रिसिल रिसर्च के मुताबिक, इस्पात की दीर्घावधि कीमतों में जून के बरक्स अगस्त में 3-4 फीसदी की गिरावट देखी गई है जबकि फ्लैट इस्पात की दरों में यह गिरावट 2-3 फीसदी रही है। लॉन्ग इस्पात का इस्तेमाल निर्माण एवं रेलवे में होता है। घरेलू स्तर पर लौह अयस्क की कीमतें जून की तुलना में अगस्त 2021 में करीब 6 फीसदी गिर गईं। जुलाई में करीब 1,000 रुपये प्रति टन की गिरावट के बाद लौह अयस्क के दाम जून की तुलना में सितंबर शुरुआत में 21 फीसदी नीचे आ चुके हैं।
क्रिसिल रिसर्च की निदेशक ईशा चौधरी का कहना है कि फ्लैट इस्पात की कीमतों में आई गिरावट की वजह वैश्विक इस्पात कीमतों में गिरावट, घरेलू लौह अयस्क कीमतों में कमी और कमजोर घरेलू मांग रही है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कीमतें अब भी घरेलू स्तर से ऊपर हैं और यह फासला बढ़ता ही जा रहा है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर कहते हैं, ‘हॉट रोल्ड कॉइल की घरेलू कीमतें निर्यात भाव की तुलना में 7,000 से 8,000 रुपये प्रति टन कम हैं और आयात भाव की तुलना में तो यह अंतर 11,000 से 14,000 रुपये प्रति टन तक है। इसके बावजूद हम कीमतें बढ़ाने के बजाय बाजार में स्थायित्व लाने पर ध्यान दे रहे हैं ताकि खपत बढ़ सके।’
धर के मुताबिक, पहली बार मांग एवं खपत के बीच फर्क करने की जरूरत पड़ रही है। मसलन, ऑटो वर्ग में तगड़ी मांग है लेकिन सेमी-कंडक्टर चिपों की किल्लत होने से उत्पादन प्रभावित है जिससे खपत नहीं बढ़ पा रही है। कुल मिलाकर, ढांचागत क्षेत्र, निर्माण एवं वाहन क्षेत्र से मांग आ रही है लेकिन मॉनसून ठीक न होने से ग्रामीण क्षेत्रों से निकलने वाली मांग जोर नहीं पकड़ रही है। हालांकि धर का मानना है कि मांग माह-दर-माह बेहतर हो रही है।
एक प्रमुख इस्पात उत्पादक ने कहा कि त्योहारी मौसम में बिक्री तेज होने की उम्मीद में अक्टूबर में स्टील के दाम बढ़ सकते हैं। इस बारे में ईशा कहती हैं, ‘हमारा पूर्वानुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में फ्लैट इस्पात के दाम 48-50 फीसदी और लॉन्ग इस्पात के दाम 26-28 फीसदी तक चढ़ सकते हैं। राजस्व बढऩे से बड़ी स्टील उत्पादक कंपनियों के मार्जिन में 550-650 आधार अंकों का सुधार आ सकता है।’
इस्पात उत्पादन के प्रमुख कच्चे माल कोकिंग कोल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अगस्त में 30-35 फीसदी बढऩे से इस धारणा को मजबूती भी मिलती है।