बीएस बातचीत
जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने एक साक्षात्कार में निकिता वशिष्ठ को बताया कि वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 की आय 27 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ सकती है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
बाजार पर पिछले साल के मुकाबले इस बार आर्थिक गतिविधि में बड़े सुधार का असर दिख रहा है। इस पर आपका क्या नजरिया है?
वित्त वर्ष 2021 में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन के बाद बाजार पर वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में मजबूत आय वृद्घि का निश्चित तौर पर असर दिख रहा है। कोविड-19 महामारी और वित्त वर्ष 2021 में लॉकडाउन के झटकों के बावजूद निफ्टी कंपनियां 11 प्रतिशत की वृद्घि देने में सक्षम दिखी हैं। वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में, औसत आय वृद्घि 27 प्रतिशत पर अनुमानित है। इसलिए बाजार के नजरिये से, इस उत्साह को संभावित आय वृद्घि के अनुमानों से मदद मिली है, जो पिछले 6-7 वर्षों के दौरान 3.5-5 प्रतिशत के वास्तविक औसत के मुकबाबले काफी अधिक है। स्पष्ट है, बाजार कोविड के बाद बेहतर आर्थिक परिदृश्य की उम्मीद कर रहा है।
इस स्तर पर मूल्यांकन को लेकर आप कितने सहज महसूस कर रहे हैं?
वैश्विक मूल्यांकन के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि भारत पिछले साल के मुकाबले अपने मजबूत प्रदर्शन की वजह से महंगा हो गया है। 18 गुना के पीई और कैलेंडर वर्ष 22ई के 2.8 गुना के पीबी के साथ, निफ्टी 14.8 गुना और 1.8 गुना पर 27 वैश्विक सूचकांकों के औसत से ऊपर है। दक्षिण कोरिया, चीन, इजरायल, रूस और पूर्वी यूरोप सस्ते हैं, जबकि कई एई महंगे (अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, कनाडा, यूरोप, स्पेन और ताइवान) हैं। हालांकि भारत 5 वर्षीय औसत आधार पर भी महंगा बना हुआ है। निफ्टी की आय वृद्घि कुछ हद तक नरम (पिछले 5 और 13 वर्षों के लिए 3.5 प्रतिशत और 5 प्रतिशत औसत) रही है, जिसे देखते हुए भारतीय इक्विटी बाजारों को तरलीकृत बाजार, मजबूत घरेलू वित्तीय हालात, आसान वैश्विक तरलता और ऊंची आय वृद्घि की लगातार उम्मीद का लाभ मिला है।
बाजारों पर कौन से नकारात्मक बदलावों का असर दिख रहा है?
जहां वित्त वर्ष 2022ई (34 प्रतिशत वृद्घि) और वित्त वर्ष 2023 (21 प्रतिशत) के लिए आय डाउनग्रेड की ऊंची संभावना के बाद भी, समेकित स्तरों पर बाजारों पर कम प्रभाव पड़ेगा। मजबूत कंपनियां ऊंचा मूल्यांकन बरकरार रखने में सक्षम होंगी, उन्हें वैश्विक मुद्रास्फीति, खासकर अमेरिका में, से मदद मिली है। इसके अलावा 2021 के मध्य से वृद्घि में संभावित कमजोरी से असामान्य लागत और मुद्रास्फीति दबाव में कमी आ सकती है, इससे वैश्विक केंद्रीय बैंकों, खासकर अमेरिकी फेडरल और ईसीबी द्वारा आसान मौद्रिक नीति की निरंतरता सुनिश्चित होगी।
आपके ओवरवेट/अंडरवेट सेक्टर कौन से हैं?
हम बैंकों, सीमेंट, ऑटोमोबाइल, आईटी और उद्योग, रियल एस्टेट तथा इलेक्ट्रिकल कंज्यूमर गुड्स में कुछ खास कंपनियों पर ओवरवेट हैं। वहीं धातु, कंज्यूमर स्टैपल्स, फार्मास्युटिकल्स, तेल एवं गैस और यूटिलिटीज पर अंडरवेट हैं।
वित्त वर्ष 2022 की कॉरपोरेट आय के लिए अनुमान क्या है?
हमने वित्त वर्ष 2022 के लिए आय अनुमानों में कुछ नरमी की संभावना जताई है, और वित्त वर्ष 2023 में कुछ क्षेत्रों के अनुमानों में कमजोरी देखी जा सकती है। औसत 27 प्रतिशत की आय वृद्घि का अनुमान ऊंचे स्तर पर है। हमें समेकित आय दोनों वर्षों के लिए करीब 8-9 प्रतिशत तक घटने की आशंका है। फिर भी, 18-19 प्रतिशत की औसत वृद्घि भी उचित होगी। हम नहीं मानते कि आय में इस तरह की नरमी से बाजार पर कोई ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, हम अगले 12-19 महीने में निफ्टी में करीब 15 प्रतिशत की तेजी की उम्मीद कर रहे हैं। निफ्टी के लिए हमारा अनुमान 17,500 पर है।