दिल्ली की लेनदार आईएफसीआई लिमिटेड ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की तेल परिसंपत्ति व टिकाऊ उपभोक्ता कारोबार अलग-अलग बेचने की अन्य लेनदारों की योजना के खिलाफ एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है।
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की लेनदारों में से एक आईएफसीआई का तर्क है, तेल परिसंपत्तियों के कर्ज को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का एकीकृत कर्ज माना गया है जबकि तेल परिसंपत्तियों की कीमत को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के समाधान में शामिल नहीं किया गया है, लिहाजा उसकी रिकवरी पर असर डाल रहा है। आईएफसीआई, सिडबी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पास लेनदारों की समिति में 4 फीसदी वोटिंग अधिकार है और उसने वीडियोकॉन के कर्ज समाधान के खिलाफ एनसीएलएटी में याचिका दी है, जिसमें कहा गया है कि रिकवरी काफी कम है और 96 फीसदी कटौती स्वीकार करने का कोई मतलब नहीं बनता।
एनसीएलटी के मुंबई पीठ ने पहले आदेश दिया था कि वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और वीडियोकॉन वेंचर्स की तेल परिसंपत्तियां वीआईएल की एकीकृत समाधान योजना का हिस्सा होना चाहिए। वास्तव में जब वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के लिए बोली मंगाई गई तब उसमें वीडियोकॉन की तेल परिसंपत्तियों का कोई जिक्र नहींं था, लिहाजा उसका मूल्यांकन प्रभावित हो रहा है। एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपील अभी एनसीएलएटी मेंं लंबित है।
लेनदारों ने वीडियोकॉन की तेल परिसंपत्तियों के लिए अलग बोली मंगाई थी, जिसका मूल्यांकन 15,000 करोड़ रुपये है और 11 कंपनियों ने उसके अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई थी। वेदांत की ट्विनस्टार पहले ही वीडियोकॉन की भारतीय परिसंपत्तियों को 3,000 करोड़ रुपये में खरीदने का अधिकार जीत चुकी है और उसने लेनदारों को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का छह फीसदी हिस्सा देने की भी पेशकश की है। वीडियोकॉन को साल 2018 में एनसीएलटी भेजा गया था जब उसने 62,000 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की थी। इस कर्ज में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की तरफ से गी गई कॉरपोरेट गारंटी शामिल है और यह 20,000 करोड़ रुपये का है। जब कंपनी को एनसीएलटी भेजा गया तब भारतीय बैंकों ने गारंटी से संबंधित अपना दावा ठोका था और उस समय वीडियोकॉन ऑयल वेंचर्स की कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया अलग से चल रही थी, जिसके पास तेल व गैस परिसंपत्तियां हैं। एनसीएलटी में बैंकरों ने उधार लेने वाले और गारंटर के खिलाफ एकसाथ दावा पेश किया था। वीडियोकॉन पर एकल कर्ज 30,000 करोड़ रुपये का है और ट्विनस्टार की तरफ से भारतीय संपत्तियां खरीदने के साथ उसका समाधान हो गया और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के बाकी कर्ज का समाधान तब होगा जब लेनदार ब्राजील की परिसंपत्तियों के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को चुनेंगे। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के प्रवर्तकों धूत परिवार ने पिछले साल आईबीसी की धारा 12 ए के तहत लेनदारों की समिति के पास आवेदन जमा कराया था, लेकिन लेनदारों की अनिवार्य 90 फीसदी वोटिंग पाने में नाकाम रहे। लेनदारों ने पिछले साल दिसंबर में ट्विनस्टार की पेशकश को मंजूरी दी थी।
वीडियोकॉन समूह तब वित्तीय संकट में फंस गया जब सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में वायरलेस टेलिफोनी लाइसेंस रद्द कर दिया और दूरसंचार इकाई का उसमें निवेश बेकार हो गया।