आम बजट में प्रस्तावित एक नए कर कानून से टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) सहित भारतीय धर्मादा ट्रस्टों (Indian charitable trusts) और दान करने वाली प्रमुख कंपनियों की मुश्किल बढ़ गई है। इसके तहत दान देने वाले संगठनों के लिए कर छूट (tax exemption) का दायरा घटा दिया गया है।
वित्त विधेयक में प्रस्ताव दिया गया है कि यदि कोई चैरिटेबल संस्था किसी अन्य चैरिटेबल संस्था को दान देती है तो केवल 85 फीसदी दान को ही दाता संस्था के लिए आय मानी जाएगी। ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि यह जमीनी स्तर पर विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ काम करने वाले कॉरपोरेट फाउंडेशन एवं बिचौलिये संगठनों के साथ-साथ दान देने वाली चैरिटेबल संस्थाओं के लिए एक बड़ा झटका है।
सरकार ने बजट ज्ञापन में कहा है कि ऐसे कई मामले संज्ञान में आए हैं जहां कुछ ट्रस्ट अथवा संस्थान कई ट्रस्ट बनाकर और प्रत्येक स्तर पर 15 फीसदी रियायत लेते हुए इस कानून के उद्देश्य को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। विधेयक में कहा गया है कि कई ट्रस्ट बनाने और प्रत्येक स्तर पर 15 फीसदी रियायत लेने से चैरिटेबल गतिविधियों के लिए प्रभावी रकम 85 फीसदी की अनिवार्य सीमा से काफी कम रह जाती है।
चैरिटेबल उद्देश्य के लिए अपेक्षित रकम सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि किसी ट्रस्ट या संस्था द्वारा दूसरे ट्रस्ट को दिए गए दान का केवल 85 फीसदी तक ही कर लाभ के लिए मान्य होगा।
वरिष्ठ कर विशेषज्ञ एचपी रैना ने कहा कि सरकार इसके जरिये कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि कई ट्रस्ट कर बचाने के लिए तमाम ट्रस्ट खोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘सरकार टाटा ट्रस्ट्स जैसे ट्रस्टों की मदद कर सकती है जो सामाजिक कार्य करने के लिए सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करते हैं।’
टाटा ट्रस्ट्स की आय मुख्य तौर पर टाटा संस में उसकी 66 फीसदी हिस्सेदारी से प्राप्त लाभांश है। वह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं पर्यावरण सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कई अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करता है। टाटा ट्रस्ट्स के प्रवक्ता ने इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।
चार्टर्ड अकाउंटेंट विरेन मर्चेंट ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन के कारण चैरिटेबल एवं परोपकारी संस्थाएं अपनी सेवाएं प्रदान करने से हतोत्साहित होंगी। उन्होंने कहा, ‘यदि किसी अन्य चैरिटेबल संस्था को दान दिया जाता है तो कर लाभ की रकम में 15 फीसदी की कटौती किए जाने का मतलब साफ है कि इससे छोटी चैरिटेबल संस्थाओं, उसके संसाधनों और नेटवर्क पर अंकुश लगेगा।’
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तमाम ट्रस्ट प्रस्तावित संशोधन को खारिज करने के लिए सरकार से अपील करने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रस्तावित संशोधन को खत्म कर दिया जाए अथवा उसमें ऐसा संशोधन किया जाए ताकि जमीनी स्तर पर काम प्रभावित न होने पाए।
ट्रस्टों के संगठन सेंटर फॉर एडवांसमेंट ऑफ फिलेंथ्रॉपी (CAP) के सीईओ नौशीर दादरावाला ने एक बयान में कहा कि प्रस्तावित संशोधन देश भर में हजारों चैरिटेबल संस्थानों के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने कहा, ‘जब देश में कारोबारी सुगमता की बात होती है तो चैरिटेबल कार्य करने की सुगमता भी होनी चाहिए। हमें इस बदलाव की आवश्यकता है। चैरिटेबल संगठन जन कल्याण एवं विकास के कार्यों में सरकार के प्रयासों को केवल आगे बढ़ाते हैं।’