भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल क्या हुआ, निजी कंपनियों की चमक अचानक बढ़ गई।
दरअसल अब भारत परमाणु संयंत्रों में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों का बड़ा बाजार बन सकता है। इसी मौके को भुनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियां इस क्षेत्र से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ करार की योजना बना रही हैं।
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक वी के चतुर्वेदी ने बताया, ‘एक दर्जन से भी ज्यादा कंपनियां परमाणु संयंत्र निर्माताओं के साथ रणनीतिक साझेदारी और संयुक्त उपक्रम बनाने के मामले में हमसे टक्कर ले सकती हैं। हो सकता है बाद में ये कंपनियां ही परमाणु संयंत्रों के निर्माण क्षेत्र में भी आ जाएं।’
एलऐंडटी और बीएचईएएल जैसी दिग्गज कंपनियां पहले ही एनपीसीआईएल के साथ तमिलनाडु के कोडानकुलम परमाणु संयंत्र निर्माण संबंधी कार्यों के लिए करार कर चुकी हैं। हालांकि इसके लिए पहले निजी कंपनियों को सरकार से परमाणु क्षेत्र में आने के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी।
हालांकि इस बारे में सरकार की अनुमति जल्द ही मिलने की उम्मीद है। लेकिन एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियों को इस कारोबार में आने के लिए किसी भी तरह की अनुमति की जरूरत नहीं है। अकाउंटिंग और सलाहकार फर्म के एक विश्लेषक ने बताया, ‘अभी भारत को लंबा सफर तय करना है। लेकिन एनएसजी से अनुमति मिलने के बाद तकनीक के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी तेजी आएगी।’
बीएचईएल और एनपीसीआईएल ने परमाणु संयंत्र के निर्माण के लिए संयुक्त उपक्रम भी बना लिया है। दोनों कंपनियां 700 मेगावाट और 1,000 मेगावाट के संयत्र लगाने के लिए इस उपक्रम में 500 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी।
एनएसजी करार से जुड़े सूत्रों के अनुसार भारत को अगर 60,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन परमाणु ऊर्जा से करना है तो निजी कंपनियों को भी इसमें कारोबार करने की अनुमति देनी पड़ेगी। इसके लिए कम से कम 6,00,000 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी क्योंकि परमाणु ऊर्जा से 1 मेगावाट बिजली बनाने में 10 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
अभी तक आर-पावर, एनपीसीआईएल, जेएसडब्ल्यू, बीएचईएल और एलऐंडटी जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में आने के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के निवेश की योजना बना रही हैं। एलऐंडटी एनपीसीआईएल के साथ लगभग 2,000 करोड़ रुपये का संयुक्त उपक्रम बनाने के बारे में विचार कर रही है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की हरी झंडी मिलने के साथ ही परमाणु ऊर्जा के मामले में भारत ने काफी लंबी छलांग लगा ली है। माना जा रहा है कि परमाणु ऊर्जा से लगभग 60000 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी। जाहिर है, ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के लिए गुंजाइश है। इसीलिए उनकी चमक बढ़ गई है।