जून तिमाही में एचडीएफसी बैंक के स्थिर प्रदर्शन ने लंबी अवधि में बैंक की बढ़त की शानदार रफ्तार को लेकर विश्लेषकों के भरोसे को रेखांकित किया है। हालांकि एचडीएफसी संग विलय और परिचालन खर्च व रिटर्न अनुपात पर इसके असर के कारण अल्पावधि में बैंक के शेयर का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। इसे देखते हुए कुछ ब्रोकरेज फर्मों ने इस शेयर की लक्षित कीमतों में कटौती की है।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने कहा, एचडीएफसी बैंक ऐसे दौर में है जहां उसका उम्दा कारोबारी प्रदर्शन दोबारा रेटिंग के लिए अहम नहीं है। निवेशक विलय के मसलों पर ध्यान बनाए हुए हैं जहां हमें नहीं पता कि मध्यम अवधि में आय पर इसका क्या असर होगा क्योंकि देनदारी में भी कई चीजें शामिल हैं, जो अनुमान लगाना मुश्किल बना रहा है। इस अवधि में नियामकीय रुख को लेकर स्पष्टता धारणा बनाने के लिहाज से अहम बन गया है।
उन्होंने कहा, इसके अतिरिक्त एचडीएफसी बैंक अपेक्षाकृत अलग तरह के खाते बनाने में सक्षम रहा है, जो ठोस देनदारी फ्रैंचाइजी और इसके परिणामस्वरूप उम्दा जोखिम-प्रतिफल रिटर्न समर्थित है। हालांकि विलय के बाद यह खाता निजी क्षेत्र के समकक्ष बैंकों जैसा ही रह सकता है, जो प्रीमियम को सही ठहराता है जिससे वह विगत में भी रुबरू होता रहा है।
एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक के प्रस्तावित विलय को बीएसई से कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली है और न ही एनएसई व भारतीय रिजर्व बैंक से अनापत्ति हासिल हुई है। बैंक ने आरबीआई से नियामकीय अनिवार्यता के चरणबद्ध अनुपालन, उधारी की ग्रैंडफादरिंग का अनुरोध किया है। साथ ही एचडीएफसी लाइफ की 2.2 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी लेने की इजाजत देने की मांग की है ताकि वह कुल हिस्सेदारी 50 फीसदी से ऊपर ले जा सके।
एचडीएफसी बैंक हालांकि इस पर नियामक से अलग से संदेश का आदान-प्रदान कर रहा है, लेकिन विश्लेषक नियामकीय नजरिये के स्पष्टीकरण आदि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
नोमूरा ने कहा, चूंकि प्रबंधन विलय के आयाम आदि को लेकर किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दे रहा है, ऐसे में भविष्य में बैलेंस शीट का एकीकरण व प्रबंधन इस शेयर की बढ़त को लेकरअहम जोखिम बना हुआ है।
कुल मिलाकर बैंक की पहली तिमाही के नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे, लेकिन एग्री पोर्टफोलियो में सीजन के लिहाज से कमजोरी के कारण परिसंपत्ति गुणवत्ता को झटका लगा। एचडीएफसी बैंक का एकल शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 19 फीसदी बढ़कर 9,196 करोड़ रुपये रहा। क्रमिक आधार पर हालांकि शुद्ध लाभ मार्च तिमाही के 10,055.18 करोड़ रुपये से कम रहा।
बैंक की शुद्ध ब्याज आय 14.5 फीसदी बढ़कर 19,481.4 करोड़ रुपये रही, जिसे उधारी में सालाना आधार पर 22.5 फीसदी बढ़ोतरी व जमाओं में 19.2 फीसदी की बढ़ोतरी से सहारा मिला।
खुदरा लोनबुक सालाना आधार पर 21.7 फीसदी बढ़ा जबकि वाणिज्यिक व ग्रामीण बैंकिंग लोन सालाना आधार पर 28.9 फीसदी बढ़ा। कॉरपोरेट व अन्य होलसेल लोन में 15.7 फीसदी का इजाफा हुआ, वहीं विदेशी उधारी कुल उधारी की 3.5 फीसदी रही।
एचएसबीसी के विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में इस शेयर के लिए अहम उत्प्रेरक लोन में मजबूत बढ़ोतरी बरकरार रहना, खुदरा, वाणिज्यिक व ग्रामीण बैंकिंग में कर्ज में बदलाव, शुद्ध ब्याज मार्जिन में सुधार आदि रहेगा।
मूल्यांकन और अनुमान
नोमूरा के विश्लेषकों ने शेयर की लक्षित कीमत 1,705 रुपये से घटाकर 1,690 रुपये कर दी है, वहीं आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने लक्ष्य 1,955 रुपये से घटाकर 1,874 रुपये कर दिया है। मोतीलाल ओसवाल का संशोधित लक्ष्य 1,800 रुपये है।
…एफपीआई निवेश की गुंजाइश ही पर्याप्त नहीं
एचडीएफसी बैंक व एचडीएफसी में इस साल विदेशी संस्थागत निवेशकों की शेयरधारिता में आई गिरावट ने विलय के बाद बनने वाली इकाई को एमएससीआई में शामिल किए जाने की संभावना मजबूत की है। हालांकि निवेश के लिए उपलब्ध गुंजाइश इस इंडेक्स में शामिल किए जाने के लिहाज से शायद पर्याप्त नहीं होगी।
एक नोट में मैक्वेरी कैपिटल ने कहा है कि एचडीएफसी बैंक के लिए तथाकथित फॉरेन इनक्लूजन फैक्टर 0.5 गुना बनी रहेगी, जब तक कि मौजूदा स्तर से एफआईआई की शेयरधारिता में तेजी से गिरावट नहीं होती।
जून 2022 की तिमाही के शेयरधारिता आंकड़ों के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक व एचडीएफसी में एफआईआई की शेयरधारिता घटकर क्रमश: 65.81 फीसदी व 67.7 फीसदी रह गई है। मौजूदा स्तर पर विलय के बाद बनने वाली इकाई में एफआईआई की शेयरधारिता करीब 17 फीसदी बैठती है, जो एमएससीआई में शामिल होने के लिए न्यूनतम सीमा 15 फीसदी से ज्यादा है। बीएस