भारत में अब मोबाइल की दरें और भी सस्ती हो सकती हैं।
दरअसल, विश्व के सबसे सस्ते दूरसंचार बाजार भारत में टेलिकॉम ऑपरेटरों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बढ़ते संसाधनों के चलते मोबाइल दरों में तकरीबन 20 से 25 फीसदी कम होने की उम्मीद है।
33 पैसे लोकल कॉल (बीएसएनएल) और 50 पैसे में राष्ट्रीय कॉल (ज्यादातर मोबाइल ऑपरेटर) की दर के कारण भारत सबसे सस्ता टेलिकॉम सुविधा देने वाला देश है।
साल के शुरुआत में दूरसंचार उद्योग को उम्मीद थी कि कुछ नई कंपनियां- लूप टेलिकॉम, डाटाकॉम सॉल्यूशंस, यूनिटेक वायरलेस को लाइसेंस मिलने और एयरसेल सेल्युलर, आइडिया सेल्युलर, टाटा टेलिसर्विसेज और रिलांयस कम्युनिकेशंस के विस्तार के चलते मोबाइल दरों पर असर पड़ेगा।
यूरोप की मोबाइल निर्माता कंपनी मेरिडियन के भारतीय इकाई के मुख्य कार्याधिकारी राजीव खन्ना ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जब नए प्रतियोगी बाजार में आते हैं, तो प्रतियोगिता बढ़ती है और वे नई रणनीति के साथ दरों में कमी लाकर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। इससे उन प्रतियोगियों पर दबाव पड़ता है, जो बाजार में समान उत्पाद बना रहे हैं।
दरों में यह कमी केवल मोबाइल सेवाओं तक ही नहीं सीमित रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव हैंडसेट की कीमतों पर भी पड़ेगा। मोबाइल टॉवरों पर बढ़ता दबाव एक अन्य कारण है। टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के मुताबिक 1 करोड़ प्रतिमाह की दर से बढ़ रहे उपभोक्ताओं के लिए 2010 तक करीब 3 लाख टॉवरों की जरूरत होगी।
अभी इस क्षेत्र में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया के साथ कुछ स्वतंत्र टॉवर कंपनियों, जैसे- जीएलटी इंफ्रास्ट्रकचर, इंडस टावर आदि के लगभग 2 लाख 75 हजार टॉवर हैं और ये कंपनियां तेजी से अपनी अपनी क्षमता में इजाफा कर रही हैं।
जीटीएल के मुख्य परिचालन अधिकारी और निदेशक चारुदत्त नाइक का कहना है कि बाजार में ज्यादा ऑपरेटरों के आने से ग्राहकों को फायदा मिलना तय है।
