थोक में बी2बी खुदरा कारोबार करने वाली मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया अब ओमनी-चैनल रणनीति की ओर बढ़ रही है, जिसमें किराना दुकानों और छोटे खुदरा कारोबारियों को ऑनलाइन ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म की पेशकश करना शामिल है, जिससे वे अपने उत्पादों की डिलिवरी दुकानों पर कर सकें। पहली बार कंपनी अपने स्टोर छोटे और मझोले शहरों में ले जा रही है।
इस समय मेट्रो के 18 शहरों में 28 स्टोर हैं। इनमें से ज्यादातर स्टोर महानगरों में हैं। कंपनी के स्टोर दिल्ली-एनसीआर, बेंगलूरु, हैदराबाद, कोलकाता और लखनऊ के साथ अन्य शहरों में स्थित हैं।
मेट्रो का यह कदम ई-कॉमर्स दिग्गजों जैसे एमेजॉन और रिलायंस रिटेल द्वारा जियो मार्ट के माध्यम से ई-कॉमर्स में उतरने का मुकाबला करने की रणनीति का हिस्सा है। यह भारत के 1.2 करोड़ खुदरा किराना कारोबारियों (इनमें से 30 लाख मेट्रो के सदस्य भी शामिल हैं) को साझेदार बनाकर लुभाने की कवायद है, जिससे ग्राहकों तक उत्पाद की डिलिवरी दी जा सके। वे उन्हें अपने थोक कारोबार से भी खरीदारी की सुविधा की पेशकश कर रही हैं।
मेट्रो कैश ऐंड कैरी के सीईओ और प्रबंध निदेशक अरविंद मेदीरत्ता कहते हैं, ‘पिछले 6-7 महीनों में हम ओमनी चैनल रणनीति की ओर बढ़े हैं। आज हमारे कारोबार (किराना शॉप) में हमारी बिक्री का 20 प्रतिशत हमारे ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म से हो रहा है। यह श्रेणी हमारे कुल कारोबार की 60 प्रतिशत है। हम जल्द ही आतिथ्य और संस्थागत कारोबार के लिए भी ऑनलाइन सुविधा शुरू करेंगे।’
बहरहाल कंपनी का कहना है कि खुदरा कारोबारी मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक ओर जहां वे ज्यादा ऑनलाइन ऑर्डर दे रहे हैं, वहीं स्टोर्स पर उनका आना पहले की ही तरह जारी है।
अब तक 10,000 से ज्यादा छोटे खुदरा कारोबारी मेट्र्रो के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। मेट्रो को उम्मीद है कि अगले 6-7 महीने में उसकी ऑनलाइन बिक्री 3 से 5 प्रतिशत ऊपर होगी। कंपनी ने दो सप्ताह पहले छोटे शहरों में भी धावा बोला है और कनार्टक के तुमकुर में स्टोर खोला है। इस आउटलेट का आकार कंपनी के सामान्य 50,000 वर्गफुट आउटलेट के आकार का करीब आधा है। 3 लख से कम आबादी वाले तुमकुर में करीब 30,000 छोटे कारोबारी हंैं। हुबली, मैसूर, विशाखापत्तनम और पश्चिम बंगाल के कुछ बाजारों में घुसने की योजना है।
स्मार्ट किरानाा कार्यक्रम एक और पहल है, जिसके माध्यम से मेट्रो किराना रिटेलर्स को लुभा रही है। इसमें परंपरागत दुकानों को आधुनिक, डिजिटल सक्षम खुदरा आउटलेट बनने में मदद दी जाती है। आसान कर्ज औ्र ईएमआई विकल्प भी दिया जा रहा है।
मेदीरत्ता ने कहा, ‘करीब 3,000 खुदरा कारोबारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। इसमें एक स्टोर को री-मॉडल करने में 48 घंटे लगते हैं और हम इसके लिए 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये लेते हैं, जिसका भुगतान मासिक किस्तों में किया जा सकता है। उन्हें पीओएस मशीन के लिए 9,000 रुपये भुगतान करने होते हैं और साथ ही रखरखाव शुल्क देना होता है। एक निश्चित राशि का कारोबार करने वर यह शुल्क माफ कर दिया जाता है।’ उन्होंने कहा कि जिन किराना स्टोरों का आधुनिकीकरण किया गया है, उनकी बिक्री 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा भी बढ़ी है।
मेट्रो कैश ऐंड कैरी की बिक्री में भी जून से अब तक फूड और ग्रोसरी कारोबार में 25 से 30 प्रतिशत बढ़ी है। कपड़ों और लाइफस्टाइल का कारोबार सुस्त है, क्योंकि लोग इन श्रेणियों में पैसे खर्च करने से बच रहे हैं। कीमतों में पारदर्शिता और व्यापक उत्पाद रेंज की पेशकश कर मेट्रो खुदरा कारोबारियों को ऑनलाइन शॉपिंग के लाभ दे रही है, जो ओमनी-चैनल रणनीति के माध्यम से संभव है। कमोबेश रोजाना किराना का ऑनलाइन ऑर्डर देने में सक्षम बनाकर वह उन्हें अपने भंडारण कम करने (यह पहले 6 से 7 सप्ताह का स्टॉक होता था) में मदद कर रही है और इससे नकदी की स्थिति में सुधार हो रहा है।
