कमजोर रुपये से उत्पादन सामग्री का आयात धातु कंपनियों के लिए ज्यादा महंगा हो जाएगा, लेकिन बेहतर निर्यात प्राप्तियों से इस प्रभाव को कम करने में मदद भी मिल सकती है।
रुपये में गिरावट का इस्पात उद्योग पर तीन तरह से प्रभाव पड़ता है- कच्चे माल का आयात महंगा हो जाएगा, लेकिन निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा, इस्पात आयात कम प्रतिस्पर्धी हो जाएगा और यह कमजोर घरेलू कीमतों के लिए बफर के तौर पर काम करेगा।
क्रिसिल रिसर्च के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2022 में 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य का करीब 5.7-5.9 करोड़ टन कुकिंग कोयला आयात किया। यह इस्पात निर्माण के लिए प्रमुख उत्पाद सामग्री है।
कुकिंग कोयले की कीमतें यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से चढ़ी हैं। दोनों ही देश इस्पात और कच्चे माल का निर्यात करते हैं। ये 670 डॉलर प्रति टन के ऊंचे स्तर से नीचे आई हैं, लेकिन अभी भी ज्यादा हैं और करीब 500 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं। कमजोर रुपये से आयात ज्यादा महंगा हो जाएगा, लेकिन कुछ इस्पात कंपनियों का मानना है कि यह प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं होगा।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी टी वी नरेंद्रन ने कहा, ‘कमजोर रुपया इस्पात उद्योग के लिए सकारात्मक है, क्योंकि हम इस्पात के शुद्घ निर्यातक नहीं हैं। घरेलू कीमतों को कमजोर रुपये से मदद मिलेगी, क्योंकि आयात कम प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। आयातित कोयले की लागत बढ़ जाएगी, लेकिन कुल मिलाकर कमजोर रुपया इस उद्योग के लिए सकारात्मक है।’ जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्य एवं विपणन) जयंत आचार्य का कहना है, ‘जहां रुपया गिरा है, इसलिए जेएसडब्लयू स्टील में हमारे पास नकदी प्रवाह बना हुआ है।’ जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) को कोयला आयात की ऊंची लागत की भरपाई निर्यात से हो जाने की संभावना है। कंपनी के निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, ‘हम कुल उत्पादन का करीब 35 प्रतिशत हिस्सा निर्यात कर रहे हैं और सिर्फ कुकिंग कोयला ही आयात करते हैं। हम पर गिरावट का प्रभाव रुपया 78 के स्तर पर पहुंचने तक तटस्थ है।’
क्रिसिल रिसर्च के निदेशक हेतल गांधी का मानना है कि हालांकि इस्पात कंपनियों की समस्या यह है कि पश्चिमी बाजारों में कीमतें नीचे आई हैं।
घरेलू बाजार में कीमतें अप्रैल में नए सर्वाधिक ऊंचे स्तर को छूने के बाद नीचे आ रही हैं।
स्टीलमिंट के आंकड़े से पता चला है कि हॉट रॉल्ड कोइल (एचआरसी) की औसत मासिक कारोबार कीमतें अप्रैल के 76,000 रुपये से घटकर मई में 72,500 रुपये प्रति टन रह गईं। वहीं लॉन्ग स्टील श्रेणी में कीमतें 72,900 रुपये से घटकर 71,000 रुपये प्रति टन के आसपास आ गई हैं।
