विनिवेश के लिए निर्धारित भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) द्वारा इस साल जून में ओमान की सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनी ओक्यू की बीना रिफाइनरी परियोजना में पूरी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के बाद कंपनी को अब निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) से बीपीसीएल के साथ रिफाइनरी के विलय के लिए मंजूरी मिल गई है।
बीपीसीएल ने दो महीने पहले 72.63 करोड़ रुपये में परिवर्तनीय शेयर वारंट के रूप में भारत ओमान रिफाइनरीज (बीओआरएल) या बीना रिफाइनरी में मध्य प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी का भी अधिग्रहण किया था। कच्चे तेल की खरीद और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं समेत बीपीसीएल की परिचालन और वित्तीय दक्षता बढ़ाने के लिहाज से इस विलय से निवेशक के साथ तालमेल लाए जाने की संभावना है।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक इस सप्ताह की शुरुआत में दीपम द्वारा इस प्रस्ताव को इस शर्त पर मंजूरी दी गई थी कि इस विलय से विनिवेश प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी। दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया। कंपनी के निदेशक मंडल ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से भी संपर्क किया था और मंत्रालय की मंजूरी में कम से कम छह से नौ महीने का समय लगने की संभावना है, जिससे विनिवेश प्रक्रिया प्रभावित होने के आसार नहीं है। एक सूत्र ने कहा कि विलय के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय की मंजूरी भी शीघ्र मिलने की उम्मीद है।
बीओआरएल को वर्ष 1994 में बीपीसीएल और ओक्यू (जिसे पहले ओमान ऑयल कंपनी के रूप में जाना जाता था) के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में शामिल किया गया था। इस साल 30 जून को बीपीसीएल ने ओक्यू को बीओआरएल में उसकी 36.62 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए 2,399.26 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। बीओआरएल और उसकी हिस्सेदारी बीपीसीएल को हस्तांतरित की जा चुकी है। इस घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार (जीओएमपी) भी बीओआरएल में 2.69 करोड़ परिवर्तनीय शेयर वारंट रखने वाली कंपनी में हितधारक थी, जिसे बीपीसीएल ने दो महीने पहले खरीदा था। इस नियोजित विलय के बारे में पूछे जाने पर कंपनी के निदेशक (वित्त) वेत्सा रामकृष्ण गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इससे कंपनी के परिचालन में तालमेल आएगा। गुप्ता ने कहा ‘एकल आधार वाले दृष्टिकोण में यह एक और रिफाइनरी बन जाएगी। हमारी कच्चे तेल की खरीद बीपीसीएल के स्तर पर केंद्रीकृत रूप से परिचालित हो जाएगी।’ वर्ष 2020-21 के दौरान बीओआरएल के कच्चे तेल की खपत 79.40 प्रतिशत की औसत क्षमता उपयोग के साथ 6,190 टीएमटी थी।
दीपम की मंजूरी के संबंध में कोई प्रतिक्रिया दिए बिना उन्होंने कहा कि बीओआरएल आज एक अलग इकाई है, इसलिए उधार की लागत काफी है। यह विलय हो जाने के बाद निश्चित रूप से उधार की लागत में कमी आएगी। हम कुछ आगे के एकीकरण की योजना भी बना रहे हैं। बीना रिफाइनरी में आगे के इस एकीकरण का कार्यान्वयन आसान हो जाएगा।
