हैदराबाद की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (एमईआईएल) न केवल सरकारी अनुबंधों पर बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी खरीदने पर भी बड़ा दांव लगा रही है। कंपनी को शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, नीलाचल इस्पात और बीईएमएल के लिए पात्र बोलीदाता की सूची में शामिल किया गया है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक पीवी कृष्णा रेड्डी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कंपनी विनिवेश में संभावनाएं तलाश रही है। उन्होंने कहा, ‘उसमें काफी संभावनाएं हैं। इसके अलावा नीलाचल इस्पात को खरीदना बैकवार्ड एकीकरण होगा। हम 10 लाख टन से अधिक इस्पात (अपनी परियोजनाओं के लिए) खरीदते हैं।’ समूह ऋण के जरिये रकम जुटाने के अलावा अगले साल तक आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने की भी योजना बना रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये जुटाएंगे। इसके लिए जांच-परख की प्रक्रिया जारी है।’
एमईआईएल निजी ट्रेनों के लिए एकमात्र निजी क्षेत्र की बोलीदाता है लेकिन इसके लिए निविदा की प्रक्रिया रोक दी गई थी क्योंकि उसमें उसकी अधिक रुचि नहीं थी। मेघा इंजीनियरिंग के अलावा केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने देश में निजी ट्रेनों के परिचालन में दिलचस्पी दिखाई थी। एमईआईएल ने 10 से भी कम कर्मचारियों के साथ 1989 में एक छोटी फैब्रिकेशन इकाई शुरू की थी लेकिन अब उसमें 10,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
शुरुआत में इसने सिंचाई एवं पेयजल क्षेत्र में अपनी परियोजनाएं शुरू की थी लेकिन बाद में उसने बुनियादी ढांचा एवं पूंजीगत वस्तुओं के विनिमार्ण क्षेत्र की ओर रुख किया। अब करीब 20 देशों में उसकी मौजूदगी है। हाल में कंपनी ने स्वदेशी तौर पर विनिर्मित एक तेल एवं गैस रिग ओएनजीसी को हस्तांतरित किया है जो उसकी 6,000 करोड़ रुपये की निविदा का हिस्सा था। उसे ओएनजीसी को 47 रिग की आपूर्ति के लिए 2019 में एक अनुबंध मिला था जिसमें 20 वर्कओवर रिग और 27 लैंड ड्रिलिंग रिग शामिल थे।
ऐसा पहला रिग अप्रैल में सौंपा गया था जबकि दूसरे रिग की डिलिवरी अगस्त में की गई थी। कंपनी मार्च 2022 तक ओएनजीसी को 23 रिग की डिलिवरी करने जा रही है। एमईआईएल ने इस कारोबार में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए इटली की कंपनी ड्रिल मैक के साथ जनवरी 2019 में समझौता किया था। स्वचालित रिग में ड्रिल मैक से प्राप्त उन्नत हाइड्रोलिक तकनीक का उपयोग किया गया है। कंपनी लद्दाख क्षेत्र में कश्मीर और लद्दाख के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए 4,600 करोड़ रुपये की जोजिला सुरंग परियोजना का निष्पादन कर रही है। सामरिक तौर पर समुद्र तल से 11,578 फुट की ऊंचाई पर निर्मित जोजिला सुरंग में नई ऑस्ट्रियाई सुरंग पद्धति (एनएटीएम) प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। इसमें वेंटिलेशन एवं निकासी की पर्याप्त सुविधा है। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि 14.5 किलोमीटर लंबी जोजिला सुरंग के लिए शून्य से नीचे के तापमान पर काम करने की आवश्यकता है।
