पश्चिम एवं दक्षिण भारत में फास्टफूड शृंखला मैकडॉनल्ड्स का परिचालन करने वाली कंपनी वेस्टलाइफ डेवलपमेंट के वाइस चेयरमैन अमित जटिया ने वर्ष 1995 में जब इस अमेरिकी फास्टफूड कंपनी के भारतीय भागीदार के तौर पर जुडऩे की मंशा जताई थी तो उन्हें घरवालों को राजी करने के लिए शाकाहारी बने रहने का वादा करना पड़ा था।
भारत में मैकडॉनल्ड्स की मौजूदगी के 25 साल बाद भी जटिया ने अपना वह वादा पूरी शिद्द से निभाया है। देश भर में 300 से ज्यादा आउटलेट के साथ मैकडॉनल्ड्स आज त्वरित सेवा रेस्तरां के क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े ऑपरेटरों में से एक है। लेकिन जटिया इसे आने वाले समय में और मजबूती देना चाहते हैं। उन्होंने अगले 5 वर्षों में मैकडॉनल्ड्स के आउटलेट की संख्या दोगुनी करने और इसके औसत इकाई वॉल्यूम को 35-40 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
भारत में मैकडॉनल्ड्स का पहला रेस्तरां अक्टूबर 1996 में नई दिल्ली के वसंत विहार में खुला था। शुरू में इस ब्रांड के भारत में दो साझेदार थे- कनॉट प्लेस रेस्टोरेंट्स (सीपीआरएल) और जेटिया का हार्डकासल रेस्टोरेंट्स (एचआरपीएल)। विक्रम बख्शी की अगुआई वाली सीपीआरएल उत्तर एवं पूर्वी भारत में मैकडॉनल्ड्स आउटलेट का परिचालन करती थी जबकि एचआरपीएल के जिम्मे पश्चिम एवं दक्षिण भारत का कारोबार था। एचआरपीएल वेस्टलाइफ डेवलपमेंट के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई है। देश भर में इस समय मैकडॉनल्ड्स के करीब 480 आउटलेट हैं जिनमें 305 की देखरेख एचआरपीएल ही करती है।
जहां तक आउटलेट की संख्या एवं राजस्व का मामला है तो डोमिनोज भारत में त्वरित सेवा रेस्तरां क्षेत्र की अगुआ है। उसके पास कुल क्यूएसआर आउटलेट का 19 फीसदी और 21 फीसदी राजस्व है। वहीं सबवे 8 फीसदी आउटलेट के साथ दूसरे नंबर पर है जबकि मैकडॉनल्ड्स 7 फीसदी हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर आता है। वैसे राजस्व के मामले में मैकडॉनल्ड्स 11 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अब भी दूसरे स्थान पर है।
जटिया ने फास्टफूड कारोबार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मैं ब्रांड रिकॉल में यकीन करता हूं। हमारा औसत इकाई वॉल्यूम दुनिया भर में काफी ऊंचा है। हम रेस्तरां की संख्या बढ़ाने के पीछे नहीं बल्कि भारत में अपना राजस्व बढ़ाने पर केंद्रित हैं।’
मोतीलाल ओसवाल फर्म की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में क्यूएसआर कारोबार के 2019-20 से लेकर 2024-25 के दौरान 19 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढऩे का अनुमान है। इस तरह वर्ष 2020 के 34,800 करोड़ रुपये का राजस्व वर्ष 2025 में 82,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। डोमिनोज, मैकडॉनल्ड्स, बर्गर किंग, केएफसी और सबवे जैसे अंतरराष्ट्रीय फास्टफूड ब्रांड भारत में करीब 45 फीसदी आउटलेट का परिचालन कर रहे हैं।
जटिया का मानना है कि मैकडॉनल्ड्स को शुरुआती दौर में भारत में गुणवत्तापरक आलू जैसे कच्चे माल की उपलब्धता, शीतगृहों की स्थापना और आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। हालत यह थी कि वर्ष 2007 तक देश भर में इसके सिर्फ 50 आउटलेट ही खुल पाए थे।