बिक्री में मंदी के बावजूद इस वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में देश की सबसे बड़ी यात्री कार बनाने वाली कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) नई-नई योजनाओं के सहारे अपनी कश्ती को मंदी के समंदर के पार लगाने की कोशिशें कर रही है।
पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर अवधि के मुकाबले इस इसी समान अवधि में कंपनी ने लगभग 4 प्रतिशत के इजाफे के साथ 4,10,120 वाहनों की बिक्री का आंकड़ा छुआ है। ग्रामीण बाजारों, कॉर्पोरेट ग्राहकों, केंद्र सरकार के कर्मियों और खर्च को कम करने के अपने कुछ उपायों को ध्यान में रख कर जबरदस्त मार्केटिंग अभियान के जरिये मारुति ने अपनी बिक्री में सुधार किया है।
कंपनी के कार्याधिकारी (मार्केटिंग एवं बिक्री) मयंक पारीक ने कहा, ‘ब्याज दरों में इजाफे के कारण शहरी ग्राहकों के लिए पैसा लेना मुश्किल हो रहा है, इसलिए हमने ग्रामीण बाजारों पर ध्यान देना शुरू किया है, जहां ग्राहक कार खरीदने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं हैं।’
उनका कहना है कि इस वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान मारुति ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 83 प्रतिशत अधिक विकास देखा है, जहां कंपनी ने 30,000 कारें बेची हैं। बेंगलुरु में जहां कारों की मांग में 9 से 10 प्रतिशत की गिरावट देखी है, वहीं कर्नाटक के ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में 18 से 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट ग्राहकों में कंपनी ने चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में बिक्री में 1,13,000 वाहनों के साथ पिछले साल के मुकाबले 59 प्रतिशत इजाफा देखा है।
कंपनी ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर केंद्र सरकार के 46 लाख कर्मियों पर नजर बनाई। जून में इन कर्मचारियों के लिए विशेष अभियान के दौरान कंपनी ने अक्टूबर में 10,000 कारें बेची हैं।