जर्मनी की दिग्गज फार्मा कंपनी मर्क केजीएए अमेरिका, जापान, भारत और चीन में अपना कारोबार बढ़ाने की योजना बना रही है।
दुनिया की सबसे पुरानी दवा कंपनियों में से एक मर्क अगले सात साल में इन देशों में कंपनी की मौजूदगी बढ़ाना चाहती है। इसके साथ ही कंपनी केमिकल्स और लिक्विड क्रिस्टल बनाने की कारोबार में कदम रखने की तैयारी भी कर रही है।
मर्क के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी डॉ. कार्ल लुडविक क्ली से भारत के बारे में कंपनी की योजना और आर्थिक संकट को लेकर कंपनी की तैयारी के बारे में बात की गौतम चक्रवर्ती और पी बी जयकुमार ने। मुख्य अंश:
मर्क ने सेरोनो खरीदकर जेनेरिक दवाओं के कारोबार से अलग हटकर कुछ किया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जेनेरिक दवाओं का कारोबार बढ़ रहा है। बड़ी फार्मा कंपनियों को राजस्व बनाए रखने में काफी मुश्किल हो रही है। ऐसे में क्या कंपनी अपनी रणनीति पर फिर से विचार करेगी?
कंपनी की नीति के अनुसार हम नई दवाओं की खोज करने के साथ ही स्थानीय जनता की जरूरतों का भी ध्यान रखना रखना चाहते हैं। हम जेनेरिक दवाओं के कारोबार में दोबारा नहीं आना चाहते हैं। सेरोनो के अधिग्रहण के बाद हमने कैंसर की दवाओं के शोध, प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाली और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों पर शोध करना चाहते हैं। इसके साथ ही हम बायोटेक कारोबार पर भी ध्यान दे रहे हैं और कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। कंपनी बाकी कारोबारों के विस्तार पर भी ध्यान दे रही है। कंपनी शोध और निर्माण क्षमता बढ़ाने की योजना भी बना रही है।
कंपनी के प्रमुख उत्पाद एरबिटक्स के अधिकार रखने वाली कंपनी आईएमक्लोन की आर्थिक हालत काफी खराब है। एली लिली इस कंपनी को खरीदने के काफी करीब है। ऐसे में एरबिटक्स का क्या भविष्य है?
आईएमक्लोन के साथ हमारे मार्केटिंग करार में कोई बदलाव नहीं होगा, चाहे कंपनी को कोई भी खरीदे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फार्मा कंपनियों के कई उत्पादों पर काम चल रहा है, इससे कंपनियों को घाटा भी हो रहा है। मर्क इन सबसे कैसे निपट रही है?
हम शोध और तकनीक में काफी निवेश कर रहे हैं। हम इन-लाइसेंसिंग करारों की संभावनाएं तलाश रहे हैं, जहां हमें कुछ नए अच्छे मॉलेक्यूल मिल सके। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमने हाल में ही 40 करार किए हैं। हमारे शोध का क्षेत्र निश्चित है। हम अपने फंडों का इस्तेमाल स्पेशियल्टी उत्पादों के लिए करते हैं।
भारत के लिए मर्क की क्या योजनाएं हैं?
भारत हमारे कारोबार के लिए महत्वपूर्ण बाजार है। अगले पांच साल में हम भारत में लगभग 50 करोड़ यूरो का कारोबार करने की उम्मीद कर रहे हैं। फिलहाल भारत से हमें सालाना 11.5 करोड़ यूरो की कमाई होती है। हम गोवा स्थित कंपनी की निर्यात इकाई की क्षमता का पूरा इस्तेमाल करना चाहते हैं।
हम इस इकाई में निवेश कर रहे हैं, इसके बाद ही हम बाकी इकाइयों के विस्तार पर ध्यान देंगे। भारत में कारोबार बढ़ाने के लिए कंपनी नए उत्पाद पेश करेगी। इसके साथ ही भारतीय बाजार के लिए के मिकल्स भी पेश किए जाएंगे। आने वाले समय में भारत के फोटो वोल्टेइक बाजार के भी बढ़ने की उम्मीद है। हम लिक्विड क्रिस्टल के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी हैं। फिलहाल हम जापान, कोरिया और ताइवान में मिक्सिंग संयंत्र लगा रहे हैं।
मर्क को भारत में कई क्लीनिकल ट्रायल करने से मना किया गया है। क्यों?
हम फेफड़े के कैंसर की थेरेपेटिक वैक्सीन स्टीमुवैक्स के तीसरे चरण के परीक्षण में भारत को शामिल करना चाहते थे। यह बाकी देशों में ट्रायल शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाएगा। भारत एरबिटक्स के अध्ययन का भी हिस्सा रहा है। हालांकि हमने मौजूदा अध्ययनों में भारत को शामिल नहीं किया है।
लेकिन हम भविष्य में होने वाले अध्ययनों में भारत को शामिल करेंगे। दरअसल, इन अध्ययनों के लिए बीमारी और लोगों के अनुवांशिक बनावट के आधार पर ही जगह का चुनाव किया जाता है।