बर्नस्टीन के सिंगापुर स्थित प्रबंध निदेशक वेणुगोपाल गरे ने पुनीत वाधवा को एक साक्षात्कार में बताया कि बाजारों के रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर पहुंचने की वजह से निवेशकों को ऐसे खास शेयरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिनमें मजबूती आने की गुंजाइश हो। उन्होंने मजबूत वृहद चक्र में सुधार और प्राथमिक बाजारों में अवसरों के बारे में विस्तार से बातचीत की। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या विकसित बाजारों ने 2021 में उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया?
भारतीय इक्विटी बाजारों का प्रदर्शन वैश्विक संदर्भ में मजबूत हुआ है और यह काफी हद तक चीन की वजह से है जिसने एशियाई सूचकांकों के प्रदर्शन को प्रभावित किया। वैश्विक रूप से इक्विटी बाजारों के लिए तरलता मुख्य वाहक होने से वृहद मजबूती में मददगार है। हम 2020 और इस साल के ज्यादातर समय में भारत पर सकारात्मक बने रहे, लेकिन दो महीने पहले से सूचकांक पर तटस्थ नजरिया अपना रहे हैं।
विदेशी निवेशक ईएम में भारत को निवेश बाजार के तौर पर किस नजरिये से देख रहे हैं?
विदेशी निवेशकों के साथ बहस काफी हद तक मजबूत वृहद चक्र उभरने और प्राथमिक बाजारों में अवसरों के लिए गुंजाइश पर केंद्रित है। प्राथमिक बाजार अवसरों पर, हम खासकर अर्थव्यवस्था के नए क्षेत्रों में अच्छी दिलचस्पी देख रहे हैं। हालांकि वृहद चक्र की तीव्रता और मजबूती पर राय अभी भी विभाजित है और शेयरों की रेटिंग में बदलाव की उम्मीद पहले ही दिख चुकी है। हालांकि मौजूदा समय में बाजार में कुछ गिरावट के जोखिम भी हैं और निवेशकों को चयन के आधार पर खासकर उन शेयरों से कुछ रकम निकालने पर जोर देना चाहिए, जिनमें आय-मूल्यांकन संदर्भ को उचित ठहराना मुश्किल है।
क्या भारत में प्राथमिक बाजार विभिन्न पेशकशों और ताजा खरीद स्तरों को देखते हुए सेकंडरी बाजारों के लिए तरलता-आधारित चुनौती बन गए हैं?
हमेशा से नई सूचीबद्घता से उत्साह देखा जाता रहा है, इसलिए कुछ निवेश इन अवसरों के प्रति आकर्षित होता है। इससे कुछ हद तक बाजार की तरलता प्रभावित होती है, लेकिन तेजी के बाजार में, नई सूचीबद्घता से नए मूल्यांकन मानक पेश होते हैं और कुछ क्षेत्रों में मौजूदा मूल्यांकन में भी बदलाव को बढ़ावा मिलता है। बाजार में लगातार गिरावट न सिर्फ कोष उगाही के दौर से प्रभावित होगी बल्कि वृहद रिकवरी की उम्मीद से कमजोर गति, कुछ बड़ी सूचीबद्घताओं के बाद पैदा हुए बदलाव से भी असर पड़ेगा।
अगली कुछ तिमाहियों में आधार प्रभाव घटेगा। क्या बाजार वास्तविक आंकड़े का सामना करने के लिए तैयार हैं?
बाजार मंदी के दौर का सामना करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि मौजूदा अनुमान वृहद चक्र द्वारा आय गति में निरंतरता का संकेत दे रहा है, जो कई वर्षों तक बनी रह सकती है। इस सिद्घांत को कई तिमाहियों में परखा जा सकेगा। इसलिए, बाजारों के लिए हालात की संभावित वास्तविकता को पचाने के लिए अभी भी पर्याप्त समय है।
भारतीय संदर्भ में कौन से क्षेत्र और शेयर महंगे दिख रहे हैं?
लगभग हरेक क्षेत्र की रेटिंग में पिछले साल के दौरान बदलाव देखा गया। पोर्टफोलियो के नजरिये से, हम खपत शेयरों पर अंडरवेट हैं। मूल्यांकन के नजरिये से, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और निर्माण उत्पाद अपने पिछले रिकॉर्ड से भी महंगे हैं। कमजोर उम्मीदों और स्वीकार्य मूल्यांकन को देखते हुए वित्त और उद्योग क्षेत्र बेहतर प्रतिफल दे सकते हैं।
इसलिए, इन स्तरों पर आपने क्या निवेश रणनीति बनाई है?
मौजूदा समय में, हम उन कुछ खास शेयरों की सलाह देना चाहेंगे जिनमें मजबूत वृद्घि या मजूत चक्र की संभावना बरकरार है। हम टेक और हेल्थकेयर में ऐसे कुछ अवसर देख रहे हैं। यह उन दो वृहद-आधारित क्षेत्रों से अलग है, जिन पर हम औपचारिक तौर पर पहले जिक्र कर चुके हैं।
निवेशकों को दूरसंचार, धातु और वाहन क्षेत्रों को लेकर कैसा नजरिया अपनाना चाहिए?
हम दूरसंचार क्षेत्र पर सकारात्मक बने हुए हैं और हमारे भारतीय पोर्टफोलियो में इस क्षेत्र के दो मुख्य शेयर शामिल हैं। हमने धातु को अंडरवेट की श्रेणी में रखा है, क्योंकि हम आपूर्ति संबंधित दबाव से इस क्षेत्र पर प्रभाव पडऩे की आशंका देख रहे हैं। हम वाहन क्षेत्र पर अंडरवेट यानी नकारात्मक बने हुए हैं। दोपहिया क्षेत्र में, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खंड में बड़ा बदलाव आएगा और हमारा मानना है कि ईवी को नहीं अपनाने वाली कंपनियों को दीर्घावधि बाजार भागीदारी गंवाने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।