करीब तीन महीने पहले मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया ने मोंडलीज इंडिया के उत्पादों का स्टॉक किया था। अब एफएमसीजी कंपनी ने सदस्यता आधारित थोक बिक्री करने वाली कंपनी को कम मार्जिन पर उत्पाद खरीदने के लिए कहा है। डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाने वाली कंपनी ने मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया के लिए मार्जिन में 25 से 30 फीसदी की कटौती करने का निर्णय लिया है।
मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अरविंद मेदिरत्ता ने कहा, ‘हमने भारत में मोंडलीज के साथ कारोबार करना बंद कर दिया है। हम उनके उत्पादों की बिक्री नहीं करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें मार्जिन में 25 से 30 फीसदी कटौती करने के लिए कहा था। इसे स्वीकार्य नहीं है।’
मेदिरत्ता ने कहा, ‘हम मोंडलीज के साथ एक स्थायी कारोबारी संबंध रखने में असमर्थ हैं। मार्जिन को काफी घटा दिया गया है और वह नुकसान होने की स्थिति तक पहुंच गया है। यहां तक कि वह कारोबार संचालन की लागत की भी भरपाई नहीं करता है। इसलिए वह टिकाऊ दीर्घावधि लिहाज से अच्छा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया ने कई अवसरों पर नए सिरे से बातचीत करने की कोशिश की
लेकिन मोंडलीज इंडिया का रुख अनुचित रहा।
मेदिरत्ता ने कहा, ‘अन्य बड़े आपूर्तिकर्ताओं के साथ हमारे अच्छे कारोबारी संबंध हैं जो कहीं अधिक दमदार भागीदारी करना चाहते हैं।’ मोंडलीज इंडिया भारत में मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया के जरिये सालाना करीब 100 करोड़ रुपये के उत्पादों की बिक्री करती थी। साल 2020-21 में उसका राजस्व 8,038 करोड़ रुपये रहा था।
मोंडलीज इंडिया ने इस बाबत जानकारी के लिए बिजनेस स्टैंडर्ड की ओर से भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।
देश में मार्जिन को लेकर छिड़ी एक अन्य जंग के तहत एफएमसीजी उत्पादों के वितरकों ने कंपनियों को लिखा है कि कीमत को लेकर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों संगठित बिजनेस टु बिजनेस (बी2बी) वितरण कंपनियों और उनके बीच भेदभाव हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान बाजार में बी2बी वितरण कंपनियों के आने से वितरकों के मार्जिन को काफी झटका लगा है।
ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन ने उपभोक्ता कंपनियों को लिखे अपने पत्र में एफएमसीजी कंपनियों के साथ एक बैठक बुलाने के लिए कहा है ताकि वितरकों के मौजूदा पारंपरिक नेटवर्क एवं अन्य बी2बी वितरकों के बीच कीमत में अंतर के मुद्दे को सुलझाया जा सके। इन वितरकों में जियोमार्ट, मेट्रो कैश ऐंड कैरी, बुकर और उड़ान, एलास्टिक रन आदि ई-कॉमर्स बी2बी कंपनियां शामिल हैं।
बहरहाल, यह मुद्दा ऐसे समय में सामने आया है जब खुदरा विक्रेता नए जमाने के वितरकों से अधिक खरीदारी करने लगे हैं क्योंकि उनके द्वारा दिया जा रहा मार्जिन पारंपरिक वितरकों के मुकाबले अधिक है। पारंपरिक वितरक खुदरा विक्रेताओं को आमतौर पर 8 से 12 फीसदी के दायरे में मार्जिन देते हैं जबकि बड़े बी2बी स्टोर एवं ऑनलाइन वितरक के मामले में मार्जिन का दायरा 15 से 20 फीसदी होता है।
