पूंजी जुटाने पर लगी हालिया रोक ने दुनिया भर की कई स्टार्टअप कंपनियों को यूनिकॉर्न की सूची से बाहर कर दिया है। हुरुन ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह महीने के अंदर 147 कंपनियों का मूल्यांकन यूनिकॉर्न के मानक से नीचे गिर गया, जिनमें 71 कंपनियां अमेरिका की और 29 कंपनियां चीन की हैं।
पिछले साल 81 कंपनियां यूनिकॉर्न की सूची से बाहर हुई थीं, जिसमें से 36 अमेरिका की और 35 चीन की कंपनियां थीं। यूनिकॉर्न की सूची में शामिल होने के लिए स्टार्टअप कंपनी का मूल्यांकन एक अरब डॉलर होना चाहिए।
हालांकि भारत में पिछले एक साल में यूनिकॉर्न से बाहर होने वाली कंपनियों की संख्या बहुत कम है। ट्रैक्सन के डेटा के मुताबिक, भारत में जब पहली बार कोई कंपनी यूनिकॉर्न में शामिल हुई थी, तब से लेकर जितनी भी कंपनियां इस सूची में शामिल हुईं, उनमें से अब तक सिर्फ सात कंपनियां ही इस सूची से बाहर हुईं हैं। इन सात कंपनियों में पेटीएम मॉल, ब्लिंकइट, शॉपक्लूज और क्विकर जैसी बड़ी स्टार्टअप शामिल हैं। सूची से बाहर होने वाली हाइक जैसी कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं, जिनका कारोबार ही भारत में बंद हो गया है।
किसी भी कंपनी को यूनिकॉर्न की सूची से तब बाहर कर दिया जाता है, जब उसका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से कम हो जाता है। यह जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर प्राप्त की जाती है। क्विकर, पेटीएम मॉल और हाइक का मूल्यांकन एक अरब डॉलर के नीचे गिर गया था, वहीं शॉपक्लूज और ब्लिंकइट का अरब डॉलर का मूल्यांकन बचाए रखने के लिए अधिग्रहीत कर लिया गया था।
ओयो और ओला कैब्स जैसे यूनिकॉर्न का भी मूल्यांकन समय-समय पर गिरता रहा है। हालांकि ओला को अभी भी यूनिकॉर्न की सूची में रखा जाता है लेकिन इसके निवेशकों द्वारा इसका मूल्यांकन कई बार कम आंका गया है। ट्रैक्सन के डेटा के मुताबिक, कंपनी 2021 में अपने छह अरब डॉलर के उच्चतम मूल्यांकन से खिसककर तीन अरब डॉलर पर आ गई। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह ओयो भी 9.6 अरब डॉलर के अपने उच्चतम मूल्यांकन से खिसककर 2.7 अरब डॉलर पर आ गई।
ट्रैक्सन की उप-संस्थापक नेहा सिंह ने कहा कि कंपनियों का मूल्यांकन उसके अनुमानित लाभ के आधार पर किया जाता है, जिसमें उसकी छूट की दर का उपयोग मौजूदा मूल्यांकन के निर्धारण के लिए किया जाता है। छूट की दर जितनी अधिक होती है, कंपनी का मूल्यांकन उतना ही कम होता है। कंपनियों के मूल्यांकन में कमी देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण फंडिंग की संख्या में लगातार कमी है और निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता भी घट रही है। साथ ही सार्वजनिक तकनीकी कंपनियों का मूल्यांकन भी 50 फीसदी से नीचे गिर गया है।
स्टार्टअप कंपनियों द्वारा पूंजी निर्धारण को देखकर भी इनके मूल्यांकन में गिरावट का अंदाजा लगाया जा सकता है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में 6.8 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई गई थी, जो इसी वर्ष की पहली छमाही से 40 फीसदी कम थी।
हुरुन इंडिया के मुख्य शोधकर्ता और प्रबंध निदेशक अनस जुनैद ने अमेरिका और चीन में स्टार्टअप कंपनियों के यूनिकॉर्न सूची से बाहर होने के लिए वैश्विक कारण का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘क्लार्ना जैसी फिनटेक कंपनियों के मूल्यांकन में आई गिरावट के कारण ही अमेरिका में बीएनपीएल कंपनियों के मूल्यांकन में भी कमी देखी जा रही है।
इसी तरह, चीनी सरकार द्वारा एडटेक और अन्य तकनीकी स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों पर कार्रवाई ने चीन में कई स्टार्टअप को प्रभावित किया है। भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो हाल ही में पूंजी जुटाने की शुरुआत हुई है और अभी निवेशकों के निर्णय पर प्रश्न करना थोड़ा जल्दबाजी होगी। लेकिन हम इस संबंध में बारीकी से मूल्यांकन कर रहे हैं।’
