देश में 2030 तक कोल गैसीफिकेशन की क्षमता बढ़ाकर 100 मिलियन टन (एमटी) करने का लक्ष्य हासिल करने में मदद करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां विनिर्माण इकाई स्थापित करेंगी।
एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी बीएचईएल, गेल, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसीएल) और नेयवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (एनएलसी) कोल गैसीफिकेशन के लिए 5 विनिर्माण इकाइयां स्थापित करेंगी।
इसमें सीआईएल के साथ भेल का और आईओसीएल के साथ गेल का संयुक्त उद्यम और इन सार्वजनिक उपक्रमों की एकल इकाइयां शामिल होंगी।
इन इकाइयों में मेथनॉल, अमोनिया, अमोनियम नाइट्रेट और यूरिया का उत्पादन होगा। अमोनियम नाइट्रेट के लिए कोयला मंत्रालय ने उकत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का प्रस्ताव किया है, जिसका मुख्य रूप से उर्वरक उद्योग में इस्तेमाल होता है। अधिकारी ने कहा, ‘शुरुआती समर्थन मुहैया कराने के लिए मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से अमोनियम नाइट्रेट के विनिर्माण के लिए पीएलआई की मांग की है। इससे मात्रा बढ़ेगी और आयात बाजारों की तुलना में कीमतें प्रतिस्पर्धी होंगी।’
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि पीएलआई योजना से बिक्री में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। भारत इस समय अपनी अमोनिया और अमोनियम नाइट्रेट की खपत की कुल जरूरतों का 20 प्रतिशत आयात करता है। प्रमुख रूप से इसका आयात तुर्की, रूस और बुल्गारिया से होता है। हाल के निवेशकों के सम्मेलन में कोयला मंत्रालय ने कहा था कि हाल के वैश्विक घटनाक्रमों से संकेत मिलता है कि स्वदेशी क्षमता विकसित करने की जरूरत है।
कोल गैसीफिकेशन का मुख्य उत्पाद मेथनॉल है। भारत में इसकी कुल मांग का 90 प्रतिशत आयात होता है और ईरान व सऊदी अरब मांग पूरी करते हैं। कोयला मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक केमिकल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के आयात पर 50 अरब डॉलर विदेश जाता है। पिछले एक दशक में भारत में प्राकृतिक गैस का आयात 5.89 प्रतिशत संयुक्त सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है।
केंद्र ने आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत नैशनल कोल गैसीफिकेशन मिशन में ्100 एमटी क्षमता का लक्ष्य रखा है। कोयला मंत्रालय ने भी सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के लिए दीर्घावधि के हिसाब से (15 साल) कोयले की नीलामी के लिए अलग विंडो का प्रावधान किया है। कोल गैसीफिकेशन की कुछ परियोजनाओं के लिए वाणिज्यिक कोयले के ब्लॉक की नीलामिंयों में राजस्व साझेदारी में 50 प्रतिशत की छूट भी मुहैया कराई गई है।
वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में कोल गैसीफिकेशन और कोयले को केमिकल्स में बदलने के लिए 4 प्रायोगिक परियोजनाओं का प्रस्ताव किया गया था, जिससे इसकी तकनीकी व वित्तीय व्यवहार्यता की जांच की जा सके। सीआईएल ने अपनी सर्फेस कोल गैसीफिकेशन परियोजना के लिए 5 खदानें चिह्नित की हैं, जो छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में हैं। इन 5 में से 2 एल्युमीनियम नाइट्रेट के लिए, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 0.66 एमटीपीए होगी, 0.7 एमटीपीए क्षमता का अमोनिया संयंत्र, 0.66 एमटीपीए क्षमता का मेथनॉल संयंत्र और 1.27 एमटीपीए क्षमता का यूरिया संयंत्र होगा।
अधिकारी ने कहा कि इन परियोजनाओं की व्यवहार्यता व तकनीकी जरूरतों का आकलन किया गया है। कोयला मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि पीएलआई योजना के तहत वित्तपोषण को लेकर अभी काम किया जाना है कि क्या यह पूंजी अनुदान होगा, परिचालन अनुदान होगा या यह हाइब्रिड मॉडल होगा।
