सर्वोच्च न्यायालय ने आज भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2,000 रुपये जुर्माने के साथ चार महीने जेल की सजा सुनाई। बकाये के भुगतान में चूक के बाद भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में लेनदारों द्वारा दायर अवमामना मामले में यह फैसला सुनाया गया है।
न्यायालय ने माल्या और उनके बेटे सिद्धार्थ को ऋण की अदायगी के लिए 8 फीसदी सालाना ब्याज के साथ 4 करोड़ डॉलर का भुगतान करने का निर्देश दिया है। भुगतान न किए जाने पर माल्या की संपत्तियों को जब्त किया जाएगा।
माल्या फिलहाल लंदन में जमानत पर हैं जहां 2017 में अपनी गिरफ्तारी के बाद भारत को प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें 2017 में अपने बच्चों को 4 करोड़ डॉलर हस्तांतरित करते हुए अदालती आदेश का उल्लंघन करने और अपनी परिसंपत्तियों का पूरी तरह खुलासा न करने का दोषी पाया था।
साल 2015 में माल्या को अदालती आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार के सदस्यों को ऋण हस्तांतरित करने का दोषी करार दिया गया था। न्यायमूर्ति यू ललित और एस रवींद्र भट्ट की अध्यक्षता वाले सर्वोच्च न्यायालय के पीठ ने कहा कि माल्या ने कोई पश्चाताप भी जाहिर नहीं किया है और इसलिए इस मामले में उपयुक्त दंड आवश्यक हो गया है। अवमानना मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फरवरी में माल्या को दो सप्ताह के भीतर अदालत में खुद अथवा उनके किसी वकील को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने का आदेश दिया था।
उसी महीने अदालत ने वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता के प्रतिवाद को भी स्वीकार किया था। गुप्ता इस मामले में अदालत की सहायता कर रहे थे कि माल्या की सजा पर फैसला लेने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम अवसर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि माल्या को ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित करने के लिए 2021 में काफी इंतजार किया गया था और अब अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता है।
माल्या के कारोबारी साम्राज्य में कभी शराब से लेकर क्रिकेट फ्रैंचाइजी और फॉर्मूला वन टीम तक शामिल थी लेकिन 2005 में स्थापित विमानन कंपनी किंगफिशन एयरलाइंस के सात साल बाद दिवालिया होने के साथ ही उनका कारोबारी साम्राज्य ध्वस्त हो गया। वह 2016 में लंदन भाग गए।
