महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में बिजली आपूर्तिकर्ता टाटा पावर को नोटिस भेजा है। इसमें पूछा गया है कि कंपनी का ट्रॉम्बे पावर प्लांट उत्पादन बढ़ाने के सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करने में असफल क्यों रहा है, जिसकी वजह से 27 फरवरी की सुबह महानगर में बिजली आपूर्ति न होने से शहर ठप पड़ गया था।
राज्य में बिजली व्यवस्था का एकीकृत परिचालन करने वाले शीर्ष निकाय स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) ने 2 मार्च को भेजे नोटिस में कंपनी से पूछा है कि वह बिजली कटौती की विस्तार से वजह बताए अन्यथा वह बिजली अधिनियम, 2003 के मुताबिक कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
एसएलडीसी ने कहा कि 22 फरवरी को टाटा पॉवर ने सेंट्रल सेक्टर ग्रिड से 600 से 1,700 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली की निकासी की और पॉवर सिस्टम कंट्रोल सेंटर को पनबिजली से 400 मेगावॉट लेने के लिए कहा, जिससे अतिरिक्त निकासी को नियंत्रित किया जा सके। बहरहाल टाटा पॉवर का पनबिजली उत्पादन जरूरी क्षमता के मुताबिक नहीं बढ़ा। इसकी वजह से ग्रिड की स्थिरता को जोखिम हुआ।
उसके बाद 27 फरवरी को घटना के दिन सुबह 9.30 बजे एमएसएलडीसी ने पनबिजली और ताप बिजली उत्पादन पूर्ण क्षमता के साथ करने के निर्देश दिए क्योंकि दो पारेषण लाइनों में व्यवस्था संबंधी बाधाएं थीं।
इसमें कहा गया है, ‘बहरहाल इस आपातकालीन स्थिति में भी टीपीसी ने एमएसएलडीसी नियंत्रण कक्ष के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया और ताप एवं पनबिजली उत्पादन में व्यवस्था की जरूरतों के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं की। इसके साथ ही 220 केवी का ट्रॉम्बे-सालसेटल 2 ओवरलोड की वजह से ट्रिप कर गया, जिसकी उम्मीद नहीं थी। एसएलसी समिति की स्पष्ट सिफारिश थी कि 220 केवी लाइनों में ओवरलोड ट्रिपिंग को खत्म किया जाए। उसके बाद ट्रॉम्बे की यूनिट 5 और यूनिट 8 ट्रिप हुई।’
इसके पहले महाट्रांसको के अधिकारियों ने कहा था कि जब मुलुंड-ट्रॉम्बे लाइन तकनीकी व्यवधानों के कारण ट्रिप हुई थी और स्टेट लोड ट्रांसमिशन सेंटर ने टाटा थर्मल पावर और टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी पावर कंपनी से 9 बजे के आसपास अपनी क्षमता बढ़ाने को कहा था, टाटा पावर ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए ई-मेल भेजने की मांग की थी। महाट्रांसको ने एक बयान में कहा, ‘टाटा पावर ने तत्काल प्रभाव से उत्पादन बढ़ाया होता तो ऐसी स्थिति न आती।’ अधिकारी ने कहा, ‘इस अहम मौके पर देरी हुई, जिसकी वजह से मुंबई अंधेरे में डूब गया।’
इसके बारे में जब टाटा पावर से पूछा गया तो कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि एमएसएलडीसी द्वारा नोटिस जारी किया जाना ऐसी घटनाओं के बाद में होने वाली प्रक्रियाओं का हिस्सा है और इससे उसकी तरफ से किसी खामी का संकेत नहीं समझा जाना चाहिए।
