लार्सन ऐंड टुब्रो अपने पावर पोर्टफोलियो का विस्तार विदेशी व भारत में सरकारी अनुबंधों के जरिए करने पर विचार कर रही है। हरित ऊर्जा पर वैश्विक स्तर पर ध्यान दिए जाने से कंपनी के लिए मौके बने हैं, वहीं तेल की ऊंची कीमतों ने पश्चिम एशियाई देशों की तरफ से बुनियादी ढांचे की और परियोजनाओं की पेशकश की संभावना बढ़ा दी है।
एलऐंडटी का मौजूदा पावर ऑर्डर बुक का 30 फीसदी से ज्यादा हरित ऊर्जा की परियोजनाओं का है। कंपनी के वितरण में पिछले दशक के मुकाबले भारत के 10 फीसदी गांवों में विद्युतीकरण और कई शहरों में सिस्टम का आधुनिकीकरण शामिल है। कंपनी भारत व विदेश में 3 गीगावॉट से ज्यादा सौर परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है।
कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (यूटिलिटीज) टी माधव दास के मुताबिक, हरित ऊर्जा कॉरिडोर के अलावा पारेषण कारोबार में ज्यादातर निवेश इंट्रा-स्टेट सिस्टम में होगा, जो अल्पावधि से मध्यम अवधि में राज्यों की तरफ से इसे मजबूत करने में होगा। पावर ग्रिड एक देश एक ग्रिड पर ध्यान दे रही है, जो धीरे-धीरे कामयाब होगा। तब तक राज्य 132केवी व 220 केवी का नेटवर्क बना रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में ट्रांसको ने उन्नयन की जरूरत महसूस की है और कई राज्यों ने अपने पारेषण व वितरण नेटवर्क को पिछले पांच से छह सालों में उन्नत बनाया है।
दास ने राजस्थान की तरफ से अपनाए गए 765 केवी सिस्टम का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, हमने अपनी भूमिका राजस्थान में एंटा-फागी लिंक में निभाई। कंपनी ने 765/400केवी क्षमता वाला एयर इंसुलेटेड सबस्टेशन चालू किया और राजस्थान राज्य विद्युत पारेषण निगम लिमिटेड के लिए एंटा व फागी (जयपुर) के बीच टांसमिशन लाइन भी चालू किया। इसकी लागत करीब 2,500 करोड़ रुपये र ही। यह न सिर्फ पहला राज्य था बल्कि पहला ट्रांसमिशन लाइन भी जो एकल सर्किट लाइन पर 213 किलोमीटर तक फैला है।
