सिंगापुर सरकार के सॉवरिन फंड जीआईसी, वित्तीय सेवा फर्म कैपिटल ग्रुप तथा कुछ अन्य संस्थानों ने मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट में केकेआर की 26.8 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। इसके साथ ही अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी फर्म केकेआर मैक्स हेल्थकेयर से बिल्कुल बाहर हो गई है। सौदे के बाद अभय सोय की अगुआई में प्रवर्तकों के पास कंपनी की 24 फीसदी हिस्सेदारी होगी।
केकेआर ने कंपनी से निकलने की अपनी रणनीति के तहत समूची हिस्सेदारी 9,200 करोड़ रुपये में बेची है। इससे मैक्स हेल्थकेयर के शेयर पर भी अच्छा असर पड़ा और कंपनी का शेयर 10 फीसदी चढ़कर 397 रुपये पर बंद हुआ। बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक केकेआर ने नए निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी 353 रुपये प्रति शेयर भाव पर बेची है।
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि केकेआर और रेडिएंट समूह 2018 से ही कंपनी की सह-प्रवर्तक थीं। केकेआर द्वारा अपनी समूची हिस्सेदारी बेचे जाने के बाद आने वाले दिनों में कंपनी के निदेशक मंडल का पुनर्गठन किया जाएगा और तीन स्वतंत्र निदेशकों तथा नए निवेशकों के नामितों को बोर्ड में शामिल किया जाएगा।
2018 में केकेआर और रेडिएंट ने मैक्स हेल्थकेयर में 2,120 करोड़ रुपये के निवेश से 49.7 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। रेडिएंट ने साझे उपक्रम की दूसरी साझेदार दक्षिण अफ्रीकी अस्पताल कंपनी लाइफ हेल्थकेयर का अधिग्रहण किया था और अपनी परिसंपत्तियों का मैक्स हेल्थकेयर में विलय कर दिया था। इस कंपनी के पास देश भर में 17 अस्पताल में 3,200 से अधिक बिस्तर हैं। पिछले साल सितंबर में केकेआर ने कंपनी से बाहर निकलने की अपनी रणनीति के तहत कुछ हिस्सेदारी 2,956 करोड़ रुपये में बेच दी थी। अभय सोय बोर्ड के चेयरमैन प्रबंध निदेशक बने रहेंगे। मैक्स हेल्थकेयर के एक प्रवक्ता ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। रेडिएंट लाइफ केयर ने मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट में 49.7 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी और उसके बाद मैक्स हेल्थकेयर के साथ रेडिएंट लाइफ केयर का विलय किया था, जिससे मौजूदा कंपनी वजूद में आई थी। इस विलय के बाद बनी नई कंपनी का नाम मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट रखा गया।
सिंगापुर की जीआईसी पिछले दो साल से भारत में अपना निवेश तेजी से बढ़ा रही है। इस साल मई में आदित्य बिड़ला फैशन ऐंड रिटेल ने जीआईसी को शेयरों का तरजीही आवंटन कर 2,195 करोड़ रुपये जुटाए थे। जीआईसी सिंगापुर का सॉवरिन वेल्थ फंड है। इस योजना के मुताबिक जीआईसी इक्विटी और वारंट खरीदने के लिए 770 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके बाद 18 महीनों के भीतर एक या अधिक खेप में वारंट के इस्तेमाल पर 1,425 करोड़ रुपये का निवेश होगा। निवेश के बाद एबीएफआरएल में जीआईसी की 7.5 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी होगी।
जीआईसी ने अक्टूबर, 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज की एक सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स में 5,512 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कैपिटल समूह भी भारत में अपने न्यू वर्ल्ड फंड के जरिये लगातार निवेश कर रहा है।
