उच्चतम न्यायालय ने आज एक अवमानना मामले में किंगफिशर एयरलाइंस के भगड़े मालिक विजय माल्या को चार महीने की जेल की सजा सुनाई। साथ ही आदेश दिया कि माल्या को अगले चार सप्ताह के भीतर 4 करोड़ डॉलर और ब्याज का भुगतान करना होगा। यदि भुगतान नहीं किया गया तो उनकी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। माल्या की बंद पड़ी विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारी दस साल बाद भी अपने बकाये के भुगतान का इंतजार कर रहे हैं।
हालांकि सरकार और बैंकों ने गिरवी शेयरों की बिक्री और परिसंपत्तियों की जब्ती के जरिये अपने बकाये की आंशिक वसूली की थी लेकिन कंपनी के कर्मचारियों को बकाये का भुगतान अब तक नहीं हो सका है।
कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी अनिरुद्ध बलाल ने कहा, ‘हमने 2019 में ही कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त परिसमापक के पास बकाये के भुगतान के लिए सभी दावे कर दिए थे लेकिन अब तक हमें एक रुपया भी नहीं मिला है और न ही यह पता चला कि रकम कैसे मिलेगी।’बलाल फिलहाल एक ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी में कार्यरत हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को भगोड़े कारोबारी के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश सरकार पर दबाव डालना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘उनकी
जीवनशैली में तो कोई बदलाव नहीं आया है जबकि उनके पूर्व कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।’
विमानन कंपनी के एक पूर्व पायलट ने कहा कि माल्या को सलाखों के पीछे भेजने से कंपनी के कर्मियों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। इसके बजाय उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए ताकि बकाये का भुगतान किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘सरकार को हमारी मदद के लिए एक ढांचा तैयार करने पर विचार अवश्य करना चाहिए। कर्मचारी सबसे कमजोर वर्ग होते हैं और कोई भी सरकार हमारे बारे में नहीं सोच नहीं रही है।’
