सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील और संजीव गुप्ता की अगुआई वाला लिबर्टी स्टील समूह एनएमडीसी के नगरनार स्टील संयंत्र के रणनीतिक विनिवेश में हिस्सा ले सकता है। नगरनार स्टील संयंत्र की कुल क्षमता 30 लाख टन की है और इसके अगले साल जून-जुलाई में शुरू होने की संभावना है। नगरनार संयंत्र को एनएमडीसी से अलग करने और इसका विनिवेश करने का निर्णय पिछले महीने मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था। विनिवेश प्रक्रिया के सितंबर 2021 तक पूरी होने की उम्मीद है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और समूह के मुख्य वित्त अधिकारी शेषगिरि राव ने कहा, ‘हमने जांच-परख नहीं की है। अगर मौका मिलता है तो हम उसका मूल्यांकन करेंगे।’ उन्होंने कहा कि वह देखना चाहेंगे कि संयंत्र में किस तरह की सुविधाएं हैं।
लिबर्टी के संजीव गुप्ता ने कहा कि उनकी कंपनी भारत में स्टील, एल्युमीनियम और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में हर तरह के अवसरों की संभावना तलाशेगी। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के तहत कंपनी एक बड़ा स्टील संयंत्र हासिल करने से चूक गई थी।
उन्होंने कहा, ‘हम उस प्रक्रिया पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे जिसे हमने अभी सार्वजनिक नहीं किया है। ये हमारे तीन मुख्य क्षेत्र हैं और इन क्षेत्रों में अच्छह्वी परिसंपत्तियां हासिल करने के लिए हम निश्चित तौर पर प्रतिभागिता करेंगे।’ गुप्ता ने बीते दो साल में भूषण पावर ऐंड स्टील सहित अन्य संपत्तियों के लिए बोलियां लगाई है। हालांकि मामला उनके पक्ष में नहीं गया और अंतत: आधुनिक की 10 लाख टन क्षमता वाले संयंत्र के साथ वह भारत के स्टील बाजार में प्रवेश करने में सफल रहे। दूसरी ओर जेएसडब्ल्यू ने भूषण पावर ऐंड स्टील की बोली जीतकर उसे अपने नाम किया है। कंपनी अगले साल तक 2.7 करोड़ टन उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए मौजूदा संयंत्रों का विस्तार के साथ-साथ अधिग्रहण की भी योजना बनाई है। उद्योग का उम्मीद है कि नगरनार संयंत्र में अन्य निवेशकों की भी दिलचस्पी हो सकती है।
आईबीसी के तहत पांच स्टील परिसंपत्तियों की नीलामी की जा चुकी है। इनमें एस्सार स्टील, भूषण स्टील, भूषण पावर ऐंड स्टील और इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स शामिल हैं।
इनमें से सबसे बड़ी स्टील कंपनी एस्सार स्टील (97 लाख टन क्षमता) का अधिग्रहण आर्सेलरमित्तल और निप्पॉन स्टील ने संयुक्त रूप से किया है। 50 लाख टन उत्पादन क्षमता वाले भूषण स्टील को टाटा स्टील ने खरीदा और 30 लाख टन क्षमता वाली भूषण पावर ऐंड स्टील को जेएसडब्ल्यू स्टील ने हासिल किया। हालांकि भूषण पावर ऐंड स्टील का मामला अभी उच्चतम न्यायालय में है और 3 नवंबर को उस पर अंतिम सुनवाई होनी है। वेदांत ने इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स का अधिग्रहण कर इस क्षेत्र में दस्तक दी है। दबाव वाली स्टील परिसंपत्तियों को नई परियोजनाओं के कारण अच्छा मूल्यांकन मिला है।
इक्रा में कॉरपोरेट रेटिंग्स के सह-प्रमुख एवं उपाध्यक्ष प्रियेश रूपारेलिया ने कहा, ‘भारत में स्टील क्षेत्र में नई परियोजना के पूरा होने में तीन से चार साल का समय लग सकता है। ऐसे में अच्छी खासी क्षमता वाली मौजूदा परियोजनाएं घरेलू स्टील उत्पादकों को आकर्षित कर सकती हैं। हालांकि अधिकांश कंपनियों के बहीखाते पर दबाव है, ऐसे में निवेश-पूंजीगत व्यय की जरूरतों का प्रमुखता से ध्यान रखा जाएगा।’
उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नगरनार संयंत्र के विनिवेश प्रक्रिया में अच्छी बात यह है कि इसमें खदान को भी जोड़ा जा सकता है।
सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि एनएमडीसी की बैलाडीला भंडार को स्टील संयंत्र के लिए चिह्नित किया गया था। हालांकि खरीदार कच्चे माल के लिंकेज के लिए कीमत पर बातचीत करेंगे या नहीं यह कहा नहीं जा सकता है। 30 लाख टन क्षमता वाले नगरनार संयंत्र के जल्द शुरू होने की उम्मीद है। कोविड महामारी के कारण परियोजना के शुरू होने में देरी हो रही है।
सूत्रों ने कहा कि महामारी के कारण विदेशी विशेषज्ञ फिलहाल आने में समर्थ नहीं हैं, इसकी वजह से इसमें देरी हो रही है। 23,140 करोड़ रुपये संशोधित अनुमानित लागत से एनएमडीसी इस संयंत्र को लगा रही है। एनएमडीसी ने इसमें 17,186 करोड़ रुपये निवेश किया है, जिनमें से 16,662 करोड़ रुपये एनएमडीसी ने अपने पास से लगाया है और 524 करोड़ रुपये बॉन्ड बाजार से जुटाए हैं। नगरनार संयंत्र के अलग होने से एनएमडीसी के शेयरधरकों को भी उनकी शेयरधारिता के हिसाब से अलग हुई कंपनी में शेयर मिलेंगे।
