जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (जेएसपीए) ने छत्तीसगढ़ की गारे पालमा 4/1 कोयला खदान के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई है। यह तीसरा मौका है, जब जेएसपीएल को यह खदान मिलने जा रही है, जो राज्य की सबसे बड़ी खदानों में से एक है।
जेएसपीएल ने राज्य के साथ राजस्व हिस्सेदारी में 25 प्रतिशत प्रीमियम की बोली लगाई, जो सबसे ज्यादा है। यह खदान कंपनी के पास 2014 से है, जब उच्चतम न्यायालय के एक फैसले में पिछले 2 दशक में हुए कोयला ब्लॉक के सभी आवंटन रद्द कर दिए थे। यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी कोयला खदानों में से एक है और उच्चतम न्यायालय के फैसले के पहले शीर्ष उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लिया था।
2019 में जेएसपीएल को नीलामी में यह खदान फिर मिल गई, जब केंद्र सरकार निजी उपयोग के लिए खदानों का आवंटन कर रही थी। बाद में कोयला मंत्रालय ने यह कहते हुए बोली रद्द कर दी कि इसका मूल्यांकन कम है।
इस साल पहली बार केंद्र सरकार वाणिज्यिक खनन और बिक्री के लिए निजी कंपनियों को खदानें आवंटित कर रही है। सरकार ने कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2015 में मई में संशोधन किया था। पिछले महीने नीलामी के दो चरण पूरे किए गए थे, जब कंपनियों ने पात्रता के लिए तकनीकी बोली और शुरुआती मूल्य की पेशकश कुल 38 कोयला ब्लॉकों में से 19 के लिए की थी। सोमवार को दूसरे और अंतिम चरण की ई-नीलामी शुरू हुई और अब तक 12 खदानों की पेशकश की जा चुकी है। वेदांत, हिंडालको, अदाणी और कुछ अन्य नई कंपनियों को खदानें मिली हैं। बुधवार को मध्य प्रदेश की गोतितोरिया ईस्ट और वेस्ट के लिए सबसे बड़ी बोली मिली। राजस्थान केकोटा की एक खनन और क्वैरिंग फर्म बोल्डर स्टोन मार्ट प्राइवेट लिमिटेड ने राजस्व हिस्सेदारी मेंं 54 प्रतिशत प्रीमियम की सबसे बड़ी बोली लगाकर ठेका अपने नाम कर लिया।
मध्य प्रदेश के उरतन नॉर्थ खदान के लिए जेएमएस माइनिंग ने सबसे बड़ी बोली 9.5 प्रतिशत राजस्व साझा की लगाई है। कोलकाता की यह माइनिंग तकनीक प्रदाता 2 खदानों पाने में सफल हुई है। इसे 10.5 प्रतिशत राजस्व साझा की सबसे बड़ी बोली लगाकर उरतन खदान मिली है।
