भारतीय ऋणदाता रियल एस्टेट कंपनी जेपी इन्फ्राटेक की बिक्री दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत अगले महीने तक सुरक्षा रियल्टी को बेचे जाने की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे इस कंपनी को लेकर लंबे समय तक चलने वाली दिवालिया प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी।
सोमवार को एनसीएलटी ने इस मामले की सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी और एक बैंकर ने कहा कि एनसीएलटी द्वारा इस संबंध में अंतिम निर्णय मार्च के आखिरी सप्ताह में आने की संभावना है, क्योंकि यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए आईबीसी-2016 के तहत निर्धारित सीमा के हिसाब से पहले ही विलंब हो चुका है। सुरक्षा रियल्टी ने पिछले साल जून में सरकार के स्वामित्व वाली एनबीसीसी इंडिया की 6,536 करोड़ रुपये की पेशकश के खिलाफ 7,736 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। सुरक्षा की बोली पेशकश को पिछले साल जून में लेनदारों की समिति (सीओसी) ने मंजूरी दे दी थी और फिर इसे मंजूरी के लिए एनसीएलटी को सौंपा गया था।
दिल्ली-आगरा एक्सप्रेसवे की मालिक जेपी इन्फ्रा को 22,600 करोड़ रुपये की ऋण चूक के बाद दिवालिया संहिता के तहत अगस्त 2017 में एनसीएलटी के हवाले किया गया था। एक ऋणदाता ने कहा, ‘भले ही एनसीएलटी नियमित आधार पर मामले की सुनवाई कर रहा है, लेकिन हम सीओसी द्वारा सुरक्षा की समाधान योजना के पक्ष में मतदान किए जाने के बाद पिछले आठ महीनों से एनसीएलटी के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। बैंकों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि वर्ष 2017 से 23,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम फंसी हुई है।’
बैंकर ने कहा कि इस प्रक्रिया में विलंब आईसीआईसीआई बैंक, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी, जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी की पैतृक कंपनी) द्वारा जताई की आपत्तियों की वजह से हुआ है। आईसीआईसीआई बैंक इस समाधान योजना में पेश भूमि के बजाय नकदी की मांग कर रहा है। मकान मालिकों को अपने घरों की चाबियां पाने के लिए 11 वर्षों से इंतजार करना पड़ा है और वे सीओसी से मदद के लिए सर्वोच्च न्यायालय गए थे, क्योंकि कंपनी को दिवालिया अदालतों में भेजा गया। इन सब वजहों से पूरी कर्ज समाधान प्रक्रिया में विलंब हुआ।
कंपनी को शुरू में जेएसडब्ल्यू, वेदांत और अदाणी समूह से दिलचस्पी मिली थी, लेकिन लंबे विलंब की वजह से इन सभी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए।
