विमानन कंपनियों के ट्रैवल एजेंट्स के क मीशन मंदी की वजह से बंद हो जाने के कारण अब ट्रैवल और टिकटिंग का काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है।
कंपनियों ने एजेंट्स को 1 नवंबर से ही कमीशन देना बंद कर दिया है। विमानन कंपनियों के इस फैसले से विमानन कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संगठन के एजेंट्स के अलावा देश भर के लगभग 29,000 एजेंट्स के कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित किया है।
दरअसल, विमानन कंपनियों के कुल टिकटों में से लगभग 90 फीसदी टिकट एजेंट्स के जरिए ही बुक कराए जाते हैं। इस कारोबार के जरिए लगभग 3 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक एक छोटे स्तर का ट्रैवल एजेंट भी लगभग 10 लोगों को नौकरी देता है।
कुछ महीनें पहले ही विमानन कंपनियों ने लागत कम करने के लिए एजेंट्स को दिया जाने वाला 5 फीसदी कमीशन नहीं देने का फैसला किया था। एजेंट्स को प्रत्यक्ष तौर पर कमीशन देने के बजाय कंपनियों ने एजेंट्स से घरेलू उड़ानों के टिकट के लिए 1,500-2,000 रुपये और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 3,500-7,000 रुपये तक की ट्रांजेक्शन फीस लेने के लिए कहा है।
भारतीय ट्रैवल एजेंट्स महासंघ (टीएएफआई) के चेयरमैन वासुकी सुंदरम ने बताया, ‘भारत में ग्राहक ट्रैवल एजेंट्स को इतनी रकम नहीं देते जब तक कि उसे टिकट की कीमत में शामिल नहीं किया जाए। लेकिन विमानन कंपनियां यह बात नहीं मानेंगी। कंपनियों के इस कदम का सीधा असर लगभग 3 लाख लोगों की नौकरी पर पड़ेगा जो इस कारोबार से जुड़े हैं। सरकार यह आश्वासन दे रही हैं कि और छंटनी नहीं होगी, लेकिन हमारे सामने संकट है।’
मुंबई के एक ट्रैवल एजेंट ने बताया, ‘ट्रैवल एजेंसियां बंद हो जाएंगी। बड़ी कंपनियां कम कमीशन लेकर टिकट मुहैया करा देंगी। अभी इस बारे में कुछ भी साफ नहीं है। पूरे उद्योग में असमंजस की स्थिति है।’
ट्रैवल एजेंट्स कोलकाता उच्च न्यायालय के आईएटीए के फैसले को सही ठहराने के खिलाफ याचिका दायर करने की योजना बना रही है। इसी के चलते कई ट्रैवल एजेंट्स ने केएलएम, एयर फ्रांस, कतर एयरवेज जैसी अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों के टिकट बेचने बंद कर दिए हैं।