बीते तीन वर्षों में देश में अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में 42 फीसदी की वृद्धि हुई है। जॉब साइट इनडीड के डेटा के अनुसार यह वृद्धि मई 2019 और मई 2022 के बीच दर्ज की गई। मई 2020 और 2021 में यह वृद्धि 40 फीसदी थी। इसके साथ साथ अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में विभिन्न कामों के लिए नौकरी देने वालों की संख्या में भी बीते तीन सालों में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
अगर भौगोलिक रूप की बात करें तो अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में नौकरी देने में बेंगलूरु देश में पहले स्थान पर है। उसके अलावा पुणे, हैदराबाद, मुंबई और चेन्नई शीर्ष पांच शहर में आते हैं। इस क्षेत्र में नौकरी देने में इन शहरों की कुल 75 फीसदी हिस्सेदारी हैं। अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में नौकरी पाने में मुख्य भूमिका में अनुसंधान एवं विकास इंजीनियर (7.6 फीसदी), सॉफ्टवेयर इंजीनियर (4.5 फीसदी), सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट (1.4 फीसदी) और फुल स्टॉक डेवलपर (1.3 फीसदी) हैं।
इनडीड इंडिया के मुख्य विक्रय प्रमुख ने कहा कि महामारी के कारण डिजिटल क्षेत्र की नौकरी एकाएक बढ़ोतरी देखी गई। ना सिर्फ बड़े शहरों में बल्कि अहमदाबाद, वडोदरा, कोच्चि, इंदौर, जयपुर और सूरत जैसे 2 और 3 टियर शहरों में भी इस क्षेत्र का नौकरी में 6.5 फीसदी की योगदान है। ये भविष्य की मेट्रो सिटी हैं जिन पर कंपनियों की नजर है। इनडीड के अनुसार भारत को आईटी सेक्टर के नेतृत्वकर्ता के रूप में मान्यता मिल चुकी है। पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में भारत तेजी से उभरा है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत में नवाचार को मुख्य भूमिका में ले जाते हुए देखा गया है। हम लगातार इंजीनियरिंग और उत्पाद में सकारात्मक वृद्धि देख रहे हैं जो आगे के वर्षों में और तेजी से बढ़ेगा। नैसकॉम के आंकड़े के हवाले से जॉब साइट ने कहा कि भारत 1,300 से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का घर है जो वैश्विक जीसीसी का लगभग 45 फीसदी है। इस क्षेत्र में यहां 13 लाख से अधिक लोग काम करते हैं और 33.8 अरब डॉलर का राजस्व आता है। इससे मेक इन इंडिया को ना सिर्फ बढ़ावा मिलता है बल्कि नवाचार और कौशल विकास को भी पूरा करता है।
