भारतीय कंपनियां 110 अरब डॉलर के अनुमानित वार्षिक राजस्व के साथ वैश्विक दूरसंचार उपकरण बाजार में प्रवेश करने की दिशा में पहला कदम उठाने की तैयारी में जुटी हैं। फिलहाल इस क्षेत्र में कुछेक कंपनियों का ही बोलबाला है।
उम्मीद है कि सरकार का अनुसंधान एवं विकास केंद्र है – सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट), जिसने टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के साथ करार किया है, वर्ष 2024 तक देश से दूरसंचार उपकरण निर्यात के लिए तैयार हो जाएगा। दूरसंचार विभाग (जिसके तहत सी-डॉट काम करता है) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
इस संबंध में जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार रिलायंस जियो भी, जो अपने 5जी नेटवर्क की जोरदार ढंग से तैनाती कर रहा है और अपना खुद का 5जी कोर तथा रेडियो बनाया है, वैश्विक दूरसंचार उपकरण बाजार में प्रवेश करने के लिए कमर कस रही है।
सी-डॉट पहले ही 4जी और 5जी कोर (नॉन-स्टैंडअलोन) दोनों के लिए ही तकनीक विकसित कर चुका है अैर जल्द ही और अधिक उन्नत 5जी कोर (स्टैंडअलोन) की पेशकश करेगा। सूत्रों के अनुसार वह इस साल ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क के साथ-साथ दूरसंचार कंपनियों के स्तर वाले 5जी रेडियो की भी पेशकश करने के अंतिम चरण में है।
इसने टीसीएस के साथ करार किया हुआ है ताकि भारत संचार निगम के लिए उसके पहले बड़े नेटवर्क की तैनाती की जा सके। भारतीय दूसंचार क्षेत्र को प्रोत्साहित और निर्मित करने के लिए सरकार ने बीएसएनएल को अपना 4जी और 5जी नेटवर्क लाने के लिए केवल स्वदेशी तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया था।
दूरसंचार विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा ‘वर्ष 2024 तक हम वैश्विक दूरसंचार उपकरण बाजार में शानदार तरीके से प्रवेश करेंगे। हम लागत के एक अंश पर कम लागत वाले समाधान की पेशकश करेंगे।’
अधिकारी ने कहा कि बाजार बहुत बड़ा है तथा एरिक्सन, नोकिया और सैमसंग जैसी कुछ ही कंपनियां हैं। हालांकि हुआवेई और जेडटीई जैसी चीनी कंपनियां भी मैदान में हैं, लेकिन कई देशों ने उनका प्रवेश रोक दिया है।
उन्होंने कहा ‘यह हमारे लिए बाजार में उतरने का एक बड़ा अवसर है।’ भारतीय दूरसंचार उपकरण बाजार का कारोबार सालाना तीन से पांच अरब डॉलर आंका गया है।
अधिकारी ने कहा कि भारतीय दूरसंचार उपकरणों के लिए अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिक्रिया काफी सकारात्मक रही है और दुनिया के सबसे जटिल दूरसंचार नेटवर्क – भारत में उनका सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है।
रिलायंस जियो से भी उम्मीद है कि वह जल्द ही निर्यात के लिए कमर कसेगी। रिलायंस के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी पहले ही कह चुके हैं कि एक बार जियो का समाधान भारत के पैमाने पर साबित हो जाता है, तो वह वैश्विक स्तर पर अन्य दूरसंचार परिचालकों को 5जी समाधान निर्यात करने के लिए बेहतर स्थिति में होगी।