रिलायंस जियो अपनी 5जी सेवाओं के लिए शुरू में शायद अधिक शुल्क नहीं वसूलेगी। कंपनी के आंतरिक सूत्रों ने ऐसा संकेत दिया है। कंपनी इसी महीने दीवाली के आसपास चार शहरों- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता- में अपनी 5जी सेवाएं शुरू कर सकती है। बाद में कंपनी अन्य शहरों में भी उसका धीरे-धीरे विस्तार करेगी।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी से जब पूछा गया कि क्या जियो अपनी 5जी सेवाओं के लिए 4जी के मुकाबले अधिक शुल्क वसूलेगी तो उन्होंने कहा, ‘शुरुआती चरण में ग्राहक 5जी सेवाओं का उपयोग करेंगे और उसके बाद वे शुल्क पर गौर करेंगे। उसके बाद ही उन सेवाओं से कमाई पर ध्यान दिया जा सकता है।’
जियो के अनुसार देश में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या फिलहाल करीब 55 करोड़ है और उनमें से करीब 5 करोड़ लोगों के पास 5जी फोन हैं। वे इस प्रौद्योगिकी के शुरुआती उपयोगकर्ता होंगे। यह मानते हुए कि ग्राहक हरेक तीन साल बाद अपने फोन बदल लेते हैं तो हर साल 15 से 20 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता नए फोन खरीद सकते हैं।
जियो के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यदि हर महीने 10 करोड़ ग्राहक 5जी फोन में अपग्रेड होते हैं तो हर साल 12 करोड़ 5जी के नए ग्राहक होंगे जिन्हें अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है।
5जी बाजार तैयार करने के लिए जियो की नजर तीन प्रमुख क्षेत्रों पर है जिनमें मोबाइल, होम (फिक्स्ड वायरलेस ब्रॉडबैंड) और छोटे एवं मझोले कारोबार (एसएमबी) बाजार शामिल हैं, जहां लोग कम बजट में समाधान की तलाश करते हैं। जियो के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में 3.5 से 5 करोड़ एसएमबी कारोबारी हैं और भारत में आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) पर खर्च करीब 36 अरब डॉलर है। इसमें दूरसंचार पर खर्च की हिस्सेदारी महज 10 फीसदी है लेकिन अगले कुछ वर्षों में आईसीटी खर्च दोगुना होने का अनुमान है। इससे कुल खर्च में दूरसंचार की हिस्सेदारी भी बढ़ सकती है।
जियो के वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि मोबाइल उपकरणों के लिए मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) बनना कंपनी की प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम 5जी मोबाइल उपकरण क्षेत्र में तभी उतरेंगे जब बाजार में उत्पादों की कमी होगी अथवा ओईएम का ध्यान इस ओर नहीं होगा। ऐसे में हमें बाजार को गति देना होगा। इसलिए हम इस क्षेत्र में उतर सकते हैं लेकिन यह हमारी प्राथमिकता नहीं है।’
जियो 5जी के लिए वैश्विक दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं को ठेका देने के अलावा कुछ सर्कल में एंड-टु-एंड स्वदेशी 5जी प्रौद्योगिकी लाने पर भी विचार कर रही है।
अधिकारी ने कहा, ‘दुनिया में नोकिया, एरिक्सन, सैमसंग और हुआवे के बाद पांचवी ऐसी कंपनी है जिसके पास एंड-टु-एंड 5जी प्रौद्योगिकी है। इसमें कोर, रेडिया और सॉफ्टवेयर के अलावा हार्डवेयर भी शामिल हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अन्य वेंडरों का उपयोग न करें बल्कि इससे हमें मोलभाव करने की ताकत मिलती है और दूसरों पर निर्भरता कम होती है। हम कुछ सर्कल में अपने स्वदेशी 5जी प्रौद्योगिकी स्टैक के जरिये 5जी का परिचालन शुरू करेंगे।’
कंपनी अपने चेन्नई संयंत्र में रेडियो का उत्पादन पहले से ही कर रही है। यह रिलायंस और अमेरिकी ईएमएस कंपनी सनमिना का संयुक्त उद्यम है जिसमें रिलायंस की 50.1 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी उम्मीद कर रही है कि वह अपनी फाइबर-टु-होम और फिक्स्ड वायरलेस ऐक्सेस (एफडब्ल्यूए) सेवाओं के जरिये10 करोड़ परिवारों तक पहुंचेगी जबकि दूरदराज के क्षेत्रों में यह सेवा 5जी के जरिये यह सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।
