निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के बारे में माना जा रहा है कि उसने पश्चिमी एशिया की निवेश एजेंसी मुबादला डेवलपमेंट कंपनी से 1,000 करोड़ रुपये के कार्यशील पूंजी कर्ज के लिए पिछले सप्ताह करार कर लिया है।
मुबादला अबूधाबी की अमीरात सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। जेट के प्रवर्तक नरेश गोयल पिछले महीने अबूधाबी में निवेश करने के लिहाज से पहुंचे थे। कर्ज की अवधि, ब्याज दरों और अन्य विस्तृत जानकारियां अभी उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।
मुबादला कई विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर चुकी है, लेकिन वह एयरोस्पेस की मुख्य कंपनी है। उसकी अबूधाबी एयरक्राफ्ट टेक्नोलॉजी में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जो विमानन कंपनियों को औद्योगिकी सेवाएं मुहैया कराती हैं और इस कंपनी के ग्राहकों की फेहरिस्त में किंगफिशर भी शामिल हैं।
एजेंसी ने विमान निर्माता कंपनी पियाजियो एयरो इंडस्ट्रीज में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की है। मुबादला फेरारी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने के साथ ही सुर्खियों में आ गई। यह करार ऐसे समय में देखने को मिल रहा है, जब विमानन उद्योग संकट के बुरे दौर से गुजर रहा है और पैसा उगाहने के लिए उद्योग में चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।
विमानन उद्योग के अनुसार जेट को बतौर कार्यशील पूंजी जो पैसा मिला है, वह विमानन कंपनी की उड़ानों को कम से कम एक और साल बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। जेट एयरवेज ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए 384 करोड़ रुपये के घाटे की घोषणा की थी। विमानन कंपनियां सार्वजनिक तेल निर्माता कंपनियों को एटीएफ के कर्ज चुकाने के कारण मुश्किल दौर से गुजर रही है।
तेल कंपनियों को जेट ने लगभग 1,057 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है। कंपनी ने 10 बोइंग 777-300 ईआर विमानों का भी ऑर्डर दिया हुआ है, जिनकी कुल लागत लगभग 1,128 करोड़ रुपये है। विशेषज्ञों का कहना है कि जेट को लगभग 4,000 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। जेट के मुख्यकार्यकारी वूल्फगैंग प्रॉक शॉवर यात्रा कर रहे थे और इस मामले में उन्हें भेजे गए संदेश का जवाब नहीं मिल पाया है।
एशिया-प्रशांत भारत और पश्चिम एशिया विमानन केंद्र के मुख्य कार्यकारी कपिल कौल का कहना है, ‘भारत में दो सबसे बड़ी निजी विमानन कंपनियों, जेट एयरवेज और किंगफिशर एयरलाइंस के लिए अगले 6 महीने और भी गंभीर होंगे और दोनों का मुख्य ध्यान कार्यशील पूंजी उगाहने पर होगा।’
कौल का कहना है, ‘दो विमानन कंपनियों को संभली हुई तीसरी तिमाही और चौथी तिमाही में बने रहने के लिए कम से कम 2,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। लागत और कमाई के बीच की खाई को पाटने के लिए इन विमानन कंपनियों का ज्यादातर ध्यान पूंजी पर होगा।’
केपीएमजी के विमानन क्षेत्र के वरिष्ठ सलाहकार मार्क मार्टिन का कहना है, ‘निजी इक्विटी फंड मिलना भारत में विमनान कंपनियों के लिए एक खुशखबरी है, क्योंकि विमानन कंपनियों के लिए ऐसे निवेशक ढूंढ़ना काफी अहम है, जो लंबे समय तक उनके साथ बने रहें।’