जेट एयरवेज जो पहले ही अपने अंतरराष्ट्रीय परिचालन में 26 फीसद कटौती कर चुकी है, व्यस्ततम अवधि के खत्म होते ही इसमें और कटौती करेगी।
इसका मतलब है कि कंपनी के बेड़े में लगभग 5 से 6 बड़े विमान खाली पड़े हैं, जिन्हें कंपनी लीज पर देने या फिर उनकी उड़ाने रद्द कर उन्हें न उड़ाने के विकल्पों पर विचार कर रही है, क्योंकि इस वक्त ये विमानों को खाली उड़ाने से ज्यादा लाभकारी हैं।
कंपनी के सूत्रों का कहना है कि विमानन कंपनी जल्द ही सप्ताह में पांच दिन अमृतसर-लंदन उड़ान को रद्द कर देगी और लंदन मार्ग पर विमानन कंपनी की सेवा सिर्फ दिल्ली से ही दी जाएगी।
इसी तरह सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने भी अपने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में 20 प्रतिशत कटौती की है।
यह घोषणाएं आज हुए पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और विमानन कंपनियों की बैठक, जिनमें जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरलाइंस और नैशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) शामिल थीं, में की गईं। एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद एनएसीआईएल के पास इनका स्वामित्व है।
जेटलाइट के साथ मिलकर जेट एयरवेज ने घरेलू परिचालनों में भी 15 प्रतिशत की कटौती की बात कर रहे थे, जिसकी वजह से कंपनी के लगभग 8 विमान बेकार पड़े हुए हैं। किंगफिशर और किंगफिशर रेड भी ऐसी ही कटौती कर चुकी हैं। किफायती उड़ान भरने वाली कंपनियों ने भी घरेलू क्षमताओं में लगभग 20 फीसद कटौती की है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है, ‘इससे 5-6 बड़े विमान और अन्य 8 घरेलू विमान बेकार हो जाएंगे। जेट के अधिकारियों का कहना है कि अगर वे इन्हें लीज पर नहीं देते तो बड़े विमान बेकार पड़े रह जाएंगे, तब भी विमान उड़ाने के बनिस्पत वे अधिक लाभकारी होंगे।’
जेट एयरवेज के 84 विमानों के बेड़े में 21 बड़े विमानन शामिल हैं। उसकी सहायक कंपनी जेटलाइट के पास 25 विमान हैं।ऐसे गंतव्य स्थान जिनकी पहले ही कटौती की गई है उसमें कुवैत को उड़ानें और दिल्ली-शंघाई-सैन फ्रांसिस्को उड़ानें शामिल हैं, जिन्हें अगले साल जनवरी से बंद कर दिया जाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया की ओर से की गई कटौती में दमाम, नाइजीरिया और लॉस एंजिल्स जैसे स्थान शामिल हैं।भारतीय विमानन कंपनियों को उनकी घरेलू उड़ानों और कर्मियों में अगले कुछ महीनों में 20 फीसद कटौती करने की जरूरत है।