रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बुधवार को बोर्ड की तरफ से मंजूर योजना के तहत गैसिफिकेशन अंडरटेकिंग को अलग कर पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बना दिया है। जामनगर की गैसिफिकेशन परियोजना का गठन आरआईएल की कच्चे तेल की रिफाइनरी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सिंथेसिस गैस के उत्पादन के लिए हुआ था। लेकिन अब इसका मुद्रीकरण कंपनी के नए ऊर्जा कारोबार के विस्तार के लिए हो सकता है।
कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक, गैसिफिकेशन परियोजना को अलग करना आरआईएल की हाइड्रोजन के क्षेत्र में आगे बढऩे की योजना का हिस्सा है। आरआईएल के अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, गैसिफिकेशन यूनिट अब सिर्फ रिफाइनरी की ही जरूरतें पूरी नहीं करेगी।
इस परियोजना के उपोत्पाद के तौर पर निकली गैस का इस्तेमाल पहले ईंधन के तौर पर होता था। अब इसका इस्तेमाल रिफाइनरी ऑफ गैर क्रैकर (आरओजीसी) के लिए फीडस्टॉक के तौर पर होगा।
आरआईएल ने देर रात एक बयान में कहा, यह प्रतिस्पर्धी पूंजी व परिचालन लागत पर एल्केन यानी सिंथेटिक फाइबर बनाने में सक्षम बनाता है। ईंधन के तौर पर सिंथेसिस गैस का इस्तेमाल जामनगर रिफाइनरी के उपभोग के लिए हाइड्रोजन के उत्पादन में भी होता है।
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, पेट कोक गैसिफायर परिसंपत्ति को अलग करने की आरआईएल की घोषणा मौजूदा एनर्जी इन्फ्रा व ऊर्जा से जुड़ी नई योजना के बीच संभावित सामंजस्य के मुद्रीकरण की ओर एक अन्य कदम है। निवेशक हालांकि पिछले पांच साल से पेट कोक गैसिफायर बिजनेस से रिटर्न को लेकर संशयवादी रहे हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर गैस की ऊंची कीमतों के माहौल और हाइड्रोजन उत्पादित करने की गैसिफायर की क्षमता को देखते हुए इसे उच्च्च लाभ वाला निवेश बना रहा है।
