टाटा टेक्नोलजीज द्वारा जर्मनी की वाहन क्षेत्र की इंजीनियरिंग सेवा प्रदाता कंपनी ईएस-टेक का 7.5 करोड़ यूरो में अधिग्रहण उसे दुनिया के प्रमुख वाहन बाजारों में से एक में अपनी मौजूदगी का विस्तार करने और अपने ग्राहक आधार में विविधता लाने में सक्षम बनाएगा।
टाटा टेक्नोलजीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी वॉरेन हैरिस ने कहा, ‘यह अधिग्रहण ऐसी रणनीतिक छलांग है, जो वाहन क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला में समूचा वाहन इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करने की हमारी क्षमता को बढ़ाता है तथा नवीन इंजीनियरिंग क्षमताओं तक पहुंचने में अपनी वैश्विक मौजूदगी का विस्तार करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’
हैरिस ने बातचीत के दौरान बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी एम्बेडेड इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में विकास पर विचार कर रही है और यह नवीनतम अधिग्रहण इस दिशा में पूरी तरह उपयुक्त है। इसका भुगतार अगले दो वर्षों में किया जाएगा और इसमें प्रदर्शन पर आधारित लाभ भी शामिल हैं।
वल्फ्सबर्ग की ईएस-टेक गहन विशेषज्ञता वाला ड्राइवर एसिस्टेंस सिस्टम (एडीएएस), कनेक्टेड ड्राइविंग और डिजिटल इंजीनियरिंग प्रदान करती है। 500 से ज्यादा कर्मचारियों और करोड़ों यूरो के राजस्व वाली ईएस फॉक्सवैगन जैसे अपने ग्राहकों को जटिल प्रणाली वाले इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करती है। इंगोलस्टेड और बर्लिन के अलावा चीन के चांगहुन और मोरक्को के कैसाब्लांका में भी इसके कार्यालय हैं।
उन्होंने कहा, ‘उनके पास ई-मोबिलिटी के कुछ पुर्जे भी हैं और जर्मनी के बाजार तक उनकी काफी पहुंच है। हमारी कई जरूरतें उनकी क्षमताओं के अनुरूप थीं। इससे हमें जर्मनी में और ज्यादा ग्राहक हासिल करते हुए तथा टाटा मोटर्स के साथ अपने मुख्य संबंधों से हटकर विविधता लाते हुए अपने ग्राहक आधार का विस्तार करने में भी मदद मिलती है।’
भारतीय इंजीनियरिंग अनुसंधान एंव विकास (ईआरऐंडडी) क्षेत्र की कंपनियों के लिए यूरोप पसंदीदा क्षेत्र बन चुका है क्योंकि इस क्षेत्र के वाहन विनिर्माता चीनी प्रतिस्पधियों से मिल रही प्रतिस्पर्धा को समझते हैं, जिन्होंने बाजार में सस्ती लेकिन और ज्यादा उन्नत तकनीक वाली कारों की भरमार कर दी है।
हैरिस ने कहा कि यूरोपीय वाहन विनिर्माताओं ने इस बात का महसूस किया है कि उन्हें तेजी से काम करना होगा और किफायती लागत वाले तरीके से क्षमता और काबिलियत का निर्माण करना होगा। इसके परिणामस्वरूप यूरोप में इंजीनियरिंग सेवा प्रदाताओं (ईएसपी) का बाजार साल 2020 के 4.5 अरब यूरो के मुकाबले साल 2030 तक बढ़कर करीब 12 अरब यूरो तक पहुंचने का अनुमान है।
नैसकॉम के अनुसार भारतीय ईआरऐंडडी क्षेत्र लगभग 7 प्रतिशत की दर से प्रौद्योगिकी उद्योग के बीच सबसे तेजी से बढ़ रहा है और अब इसका मूल्य लगभग 56 अरब डॉलर है।
वाहन क्षेत्र के अलावा जिन अन्य क्षेत्रों में अवसर उपलब्ध हैं, उनमें एरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र भी शामिल हैं। विमान विनिर्माता कंपनी एयरबस को वैश्विक महामारी के बाद की दुनिया में ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मशक्कत कर रही है और यूरोपीय देश इंजीनियरिंग क्षमता का तेजी से इस्तेमाल कर रहे, क्योंकि वे अपना रक्षा खर्च बढ़ा रह हैं।