सितंबर में ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ओ-आरएएन) पर आधारित दुनिया का पहला 5जी नेटवर्क लॉन्च करने जा रही जापान की ई-कॉमर्स दिग्गज राकुटेन ने भारतीय तकनीकी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही है।
अगर यह सफल तकनीक 5जी उपलब्ध कराने वाले ऑपरेटर एवं दूरसंचार उपकरण प्रदाताओं को साथ लाती है तो हुआवे, नोकिया और एरिक्सन जैसी पहले से स्थापित कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती होगी।
जापानी दिग्गज ने अधिग्रहण और साझेदारी की दो स्तरीय रणनीति बनाई है। इसी के तहत वह हार्डवेयर के लिए स्टरलाइट टेक्नोलॉजिज और सॉफ्टवेयर के लिए एचसीएल, विप्रो और टेक महिंद्रा के साथ साझेदारी कर रही है। जापान में 5जी नेटवर्क विकसित करने के लिए वह रिलायंस के साथ भी साझेदारी करने के लिए तैयार है। कंपनी की योजना इस तकनीक को दुनिया भर में निर्यात करने की है। राकुटेन इंदौर की कंपनी इननोई का अधिग्रहण करने के अंतिम चरण में है। इस कंपनी का शोध एवं विकास केंद्र वर्जिनिया में है और वह राकुटेन के वायरलेस नेटवर्क के लिए सॉफ्टवेयर बनाती है।
राकुटेन मोबाइल के निदेशक प्रतिनिधि और सीटीओ तारिक अमीन ने कहा कि स्टरलाइट के साथ साझेदारी में कंपनी पहली बार वाईफाई हार्डवेयर को भारत से आउटसोर्स करेगी। कंपनी की योजना अपने पूरे उत्पादन को ताइवान से भारत लाने की है।
विप्रो के साथ सॉफ्टवेयर के लिए बात चल रही है। कैरियर गाइड वाईफाई प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए राकुटेन एचसीएल के साथ बात कर रही है। अमीन रिलायंस जियो के साथ भी काम कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह तकनीकी क्षेत्र की किसी भी कंपनी के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘हमारी कंपनी और रिलायंस की संस्कृति में काफी समानता है। दोनों नवोन्मेष और ग्राहकों के साथ जुड़ाव में यकीन करती है। हम उसे प्रतिस्पर्धी के तौर पर नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में संंभावित साझेदार के रूप में देखते हैं।
राकुटेन ने ऑल्टियोस्टार में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है, जिसमें टेक महिंद्रा की भी हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि ओपन आरएएन सॉफ्टवेयर विकसित करने वाले ज्यादातर इंजीनियर बेंगलूरु स्थित शोध एवं विकास केंद्र में हैं। राकुटेन का बेंगलूरु में अपना शोध एवं विकास केंद्र भी है। कंपनी का यह केंद्र क्लाउड, डेटा साइंस और मशीन अर्निंग पर काम कर रहा है।
इन कारोबार में राकुटेन समूह का ई-कॉमर्स एवं सुरक्षा कारोबार भी शामिल हैं। राकुटेन मोबाइल के अमीन के अनुसार 5जी खंड में भारतीय कंपनियों के लिए अपार संभावनाएं हैं। अमीन ने कहा, ‘दूरसंचार ढांचे के लिए सबसे बड़ा केंद्र बनना वाकई एक अवसर है। ज्यादातर दूरसंचार विनिर्माण चीन और ताइवान में हो रहे हैं, लेकिन ऐसे समय में जब यह उद्यम दूसरे देशों में विकल्प तलाश रहा है, भारत इसके लिए एक माकूल जगह साबित हो सकती है।’ अमीन ने कहा कि कंपनी ने 50 से अधिक वैश्विक दूरसंचार कंपनियों के साथ बातचीत की है। इन कंपनियों ने 5जी तकनीक में रुचि दिखाई है और वे जापान में राकुटेन के 5जी नेटवर्क की शुरुआत पर नजरें टिकाए हुए हैं। अमीन ने कहा, ‘हम भारत में दूरसंचार कंपनियों के साथ अपने 5जी पॉड का परीक्षण करना चाहेंगे और उनके साथ मिलकर नेटवर्क तैयार करने पर जोर देंगे। हालांकि फिर हमारा पूरा ध्यान जापान में अपने नेटवर्क को पुख्ता बनाना है।’चीन का दावा है कि ओपन आरएएन तकनीक को अमेरिका से मदद मिल रही है, जिसका मकसद हुआवे को टक्कर देना है। चीन का कहना है कि यह तकनीक सीडीएमए की तरह प्रदर्शन नहीं कर पाएगी और अमेरिका का वाइमैक्स असफल साबित हुआ है। चीन के इन दावों पर अमीन ने कहा कि ओपन आरएएन की शुरुआत राकुटेन ने तीन वर्ष पहले की कर दी थी न कि अमेरिका ने।
