भारत में उत्पाद, समाधान तथा सेवाओं को बेचने के लिए देशभक्ति या स्वदेशी तरीकों को अतीत में भी अनेक बार इस्तेमाल किया जा चुका है लेकिन शायद ही किसी को इतनी सफलता मिली हो, जितना कि एक महीने से भी कम पुराने ऐप ‘मित्रों’ को मिली है। हालांकि मंगलवार को इसे गूगल द्वारा प्ले स्टोर से हटा दिया गया।
अप्रैल 2020 में लॉन्च हुए इस ऐप को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है और ऐप के निर्माता तथा मालिक दो प्रमुख चीजों का लाभ उठाने में सफल रहे। पहला, ऐप मित्रों का नाम, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बोला जाने वाला लोकप्रिय शब्द है तथा इसे राष्ट्रवाद का पर्याय माना जाता है। दूसरा, चीनी ऐप टिकटॉक का विकल्प।
ऐसा बताया जा रहा है कि ऐप विकसित करने वाली टीम का नेतृत्व आईआईटी के पूर्व छात्र शिवांक अग्रवाल कर रहे हैं लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी उक्त व्यक्ति का पता नहीं चल सका। टीम का नाम शॉपकिलर है तथा यह छुपकर काम कर रही है।
गूगल ने अपने प्ले स्टोर से ऐप को हटाए जाने की पुष्टि कर दी है। गूगल प्ले स्टोर में ‘स्पैम ऐंड मिनिमम फंक्शनलिटी पॉलिसी’ है और वह दोहराव वाली सामग्री या दूसरे कारणों से ऐप को हटा सकती है। नीति उल्लंघन के उदाहरणों में किसी भी हालिया ऐप में नई सामग्री या मूल्य संवर्धन के बिना उसकी प्रतिलिपि बनाना और नए ऐप की तरह कार्यक्षमता, सामग्री एवं उपयोगकर्ता अनुभव वाला ऐप विकसित करना शामिल हैं।
मित्रों शायद कुछ समय तक मुफ्त में जारी रहेगा और इसलिए यह बात चर्चा में नहीं आई कि ऐप का स्रोत कोड वास्तव में एक पाकिस्तानी डेवलपर द्वारा विकसित किया गया था। शॉपकिलर नामक संस्था ने पाकिस्तान की एक कंपनी क्यूबॉक्सस से सोर्स कोड खरीदा था। इस कोड की बिक्री कोडकैनियन नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हुई जो विभिन्न कोडिंग लैंग्वेज तथा फ्रेमवर्क में स्क्रिप्ट, संपूर्ण ऐप्लिकेशन तथा कंपोनेंट को खरीदने एवं बेचने का एक ऑनलाइन बाजार है।
नतीजतन, मित्रों को पाकिस्तानी ऐप की तरह ब्रॉन्डिंग किया गया जिससे इसके लॉन्च के बाद बना उत्साह धीमा हो गया। डेवलपर समुदाय का कहना है कि लोकप्रिय ऐप्स के सोर्स कोड खरीदना दुनिया भर में आम बात है। फाइनैंशियल टेक्नोलॉजी फर्म फ्लैट व्हाइट कैपिटल के संस्थापक दीपक एबट ने कहा, ‘इंस्टाग्राम, टिंडर, उबर आदि लोकप्रिय ऐप के लिए कम से कम 500 डेवलपर्स सोर्स कोड बेच रहे हैं। अगर कोई सोर्स कोड पर्याप्त होता तो कोई भी इन ऐप्स को बना सकता है।’
एबट कहते हैं कि मित्रों ऐप विकसित करने वाले व्यक्ति की तारीफ करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मित्रों ऐप डेवलपर ने सही नाम का इस्तेमाल किया, सही समय पर सही मौके की पहचान की और सभी तरह के व्हाट्सऐप मार्केटिंग का इस्तेमाल किया और बहुत कम समय में इतने ज्यादा बार डाउनलोड हो गए।’ विभिन्न चीनी ऐप के खिलाफ बढ़ता आक्रोश तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वोकल फॉर लोकल की अपील करने से मित्रों ऐप को बढ़ावा मिला। कोडकैनियन प्लेटफॉर्म पर क्यूबॉक्सस द्वारा वीडियो साझा करने वाले ऐंड्रॉयड ऐप टिकटिक की सोर्स कोड 34 डॉलर (लगभग 2,570 रुपये) में उपलब्ध है, जो इस सप्ताह सबसे अधिक बिकने वाले ऐप में शामिल रहा। डेवलपर इंस्टाग्राम के क्लोन ‘हैशग्राम’ 19 डॉलर में बेच रहे हैं।
टिंडर की तरह के डेटिंग ऐप बिंडर को 44 डॉलर में बेचा जा रहा है तथा प्लेटफॉर्म पर ई-कॉमर्स एवं फूड ऑर्डर करने वाली वेबसाइटों के लिए कई रेडी-टू-यूज सोर्स कोड उपलब्ध हैं।
हालांकि बहुत कम समय में मित्रों द्वारा हासिल की गई लोकप्रियता सराहनीय है। उदाहरण के लिएए गूगल प्ले स्टोर पर सोमवार शाम तक कम से कम 14 अन्य ऐप उपलब्ध थे, जिनके नाम काफी मामूली बदलाव के साथ मित्रों से अधिक समानता रखते हैं। ऐप की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कई लोगों ने क्लोन बनाने की कोशिश की है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि क्लोन ऐप में डेटा उपयोग एवं गोपनीयता नीतियों को अच्छी तरह से परिभाषित नहीं किया जाता जो उपयोगकर्ताओं को जोखिम में डालता है। सुरक्षा शोधकर्ता करण सैनी ने कहा, ‘आजकल यह सामान्य हो गया है कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर सस्ते कोड खरीदकर उनमें मामूली बदलाव करके ऐप स्टोर पर दोबारा पब्लिश कर दिया जाता है। जहां ऐप विकसित करने वाले विज्ञापन तथा ऐप में खरीदारी के माध्यम से राजस्व कमाते हैं। अधिकांश उपयोगकर्ताओं के लिए ये ऐप बड़ी कंपनियों द्वारा विकसित ऐप की तरह सुरक्षा उपलब्ध नहीं करा पाते हैं।’
सैनी ने इस तरह के ऐप विकसित करने वाले उद्योग की तुलना फैशन उद्योग से की है, जो जरूरी नहीं कि उपभोक्ता को नुकसान पहुंचाए लेकिन ऐप उपयोगकर्ता की संवेदनशील जानकारी जुटाता है तो जोखिम हो सकता है। उदाहरण के लिए एक डेटिंग ऐप का क्लोन संभावित रूप से उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा को गलत लोगों के हाथों बेच सकता है।’
सिडनी विश्वविद्यालय और डेटा 61 सीएसआईआरओ द्वारा वर्ष 2019 में कराए गए एक अध्ययन में गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध 10 लाख से ज्यादा ऐप की जांच की गई और 2,040 संभावित फर्जी ऐप का पता लगाया। कई फर्जी ऐप काफी लोकप्रिय भी थे तथा इनमें मालवेयर शामिल थे। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कई फर्जी ऐप में मालवेयर नहीं होते लेकिन वे संवेदनशील जानकारी तक पहुंच की अनुमति मांगते हैं।
मित्रों ऐप ने पिछले हफ्ते एक पेज की गोपनीयता नीति शामिल की। हालांकि शॉपकिलर को भेजे गए ईमेल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। ऐबट बताते हैं कि इस तरह के ऐप का जीवनकाल अधिक नहीं होता है। वह कहते हैं, ‘ऐप मित्रों कुछ महीनों में लोकप्रियता खो सकता है, जिसमें टिकटॉक की इंजीनियरिंग टीम का भी योगदान हो सकता है। हालांकि चीनी ऐप के विरोध में मित्रों द्वारा हासिल की गई लोकप्रियता सराहनीय है।’
