चीन के खिलाफ भड़की जनभावनाओं के बीच हिंसा एवं विरोध की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेल्युलर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स संघ (आईसीईए) ने अपने सदस्यों को कुछ संगठनों की गैरकानूनी हरकतों के आगे न झुकने और उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाने की सलाह दी है।
आईसीईए ने पिछले हफ्ते चीनी फोन निर्माता ओप्पो के ग्रेटर नोएडा स्थित संयंत्र के बाहर हुए प्रदर्शन और अन्य जगहों पर चीनी कंपनियों के विरोध को देखते हुए यह परामर्श जारी किया है। कई जगहों पर चीनी कंपनियों के दफ्तरों, उनके वरिष्ठ अधिकारियों के घरों के बाहर और खुदरा स्टोर पर घेराव जैसी स्थिति भी देखी गई है।
चीनी फोन निर्माता कंपनियों के अधिकारियों को सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया जा रहा है। भारत के मोबाइल फोन बाजार में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली चीनी कंपनी श्याओमी ने तो अपने एक्सक्लूसिव और मल्टीब्रांड स्टोर पर अपने लोगो एवं साइनबोर्ड को ढंकना और मेक इन इंडिया बैनर लगाना भी शुरू कर दिया है।
हालांकि आईसीईए की तरफ से जारी इस परामर्श-पत्र में केवल चीनी कंपनियों का ही उल्लेख नहीं है, बल्कि सभी सदस्यों से अनुरोध किया गया है कि वे ऐसी हरकतों को नजरअंदाज या अनदेखा न करें। संगठन ने ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की भी सलाह दी है।
आईसीईए के अध्यक्ष पंकज महिंद्रू कहते हैं, ‘हम भीड़ को अपने कारोबारी ठिकानों पर हावी होने की इजाजत नहीं दे सकते हैं, बस बहुत हो गया। ऐसे तत्त्वों के खिलाफ कार्रवाई की ही जानी चाहिए।’
आईसीईए ने फोन निर्माता कंपनियों को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के इस्तेमाल की सलाह भी दी है। ये धाराएं आपराधिक तरीके से धमकाने और गैरकानूनी ढंग से बंदी बनाने एवं जमावड़ा करने से संबंधित हैं। उसने कंपनियों को विरोध-प्रदर्शन एवं हिंसा की सूरत में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए समुचित दीवानी प्रक्रिया का भी सहारा लेने को कहा है। आईसीईए के मुताबिक, जरूरत पडऩे पर जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा के लिए संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से भी संपर्क करना चाहिए।
उसने खुदरा बिक्री वाले स्टोर में तैनात कर्मचारियों को भी ऐसे हालात में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जागरूक करने की सलाह इन कंपनियों को दी है। उसने कहा है कि इन स्टोर में हरेक संवेदनशील जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए।
अगर रिटेल स्टोर को ऐसे किसी प्रदर्शन के बारे में पहले से ही जानकारी मिल जाए तो उन्हें फौरन इसकी सूचना वहां के जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक को देकर यह अनुरोध करना चाहिए कि वे इस प्रदर्शन की अनुमति न दें या फिर स्टोर परिसर से 100 मीटर दूर ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत दी जाए। दूसरा, प्रदर्शन की स्थिति में रिटेल आउटलेट को पुलिस से सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की जानी चाहिए। तीसरा, अगर स्थानीय पुलिस सुरक्षा देने में आनाकानी करती है तो वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क साधें या फिर अदालत से प्रदर्शनकारी समूह के खिलाफ निषेधाज्ञा लेने के प्रयास करें।
भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर दबदबा रखने वाली चीनी फोन निर्माता कंपनियों पर भारत एवं चीन के बीच सीमा पर छिड़े हालिया विवाद के बाद काफी दबाव है। भारतीय बाजार पर चीनी कंपनियों के दबदबे को काउंटरप्वाइंट रिसर्च के आंकड़े भी सही साबित करते हैं। इससे पता चलता है कि श्याओमी, ओप्पो, वीवो और रियलमी की सम्मिलित रूप से स्मार्टफोन बाजार में हिस्सेदारी 73 फीसदी है। ये आंकड़े इस कैलेंडर साल की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2020 के हैं। अगर इसमें वनप्लस एवं कुछ अन्य छोटी चीनी कंपनियों को भी जोड़ दें तो यह आंकड़ा 81 फीसदी तक जा सकता है। इसके उलट भारत की घरेलू फोन निर्माता कंपनियों की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम हो चुकी है।
यहां तक कि फीचर फोन बाजार में भी चीनी कंपनियां तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रही हैं। जनवरी-मार्च 2020 में इन कंपनियों की फीचर फोन बाजार में हिस्सेदारी महज 17 फीसदी थी लेकिन इस साल की समान अवधि में यह बढ़कर 33 फीसदी पर जा पहुंची है।
चीनी खतरे से निपटने के लिए उठाए कदम
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलिपींस जैसे देशों के लिए चीन से बढ़ रहे खतरे का मुकाबला करने के लिए अमेरिका अपने बलों की वैश्विक तैनाती की समीक्षा कर रहा है जिससे कि ‘उचित स्थानों पर इनकी मौजूदगी’ सुनिश्चित हो सके। पोम्पिओ ने यह बात डिजिटल ब्रसेल्स फोरम 2020 में गुरुवार को एक सवाल के जवाब में कही। उन्होंने कहा, ‘हम सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का मुकाबला करने के लिए हमारी तैनाती उचित स्थानों पर हो। हमारा मानना है कि यह हमारे समय की चुनौती है और हम सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि हमारे पास इससे निपटने के लिए संसाधन हों।’ पोम्पिओ ने कहा कि बल की तैनाती की समीक्षा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के निर्देश पर की जा रही है जिसके तहत अमेरिका जर्मनी में तैनात अपने सैनिकों की संख्या लगभग 52 हजार से घटाकर 25 हजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि बल की तैनाती जमीनी हकीकत के आधार पर की जाएगी।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे के बारे में कहा, इसलिए अब भारत को खतरा है, वियतनाम को खतरा है, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा है, दक्षिण चीन सागर में चुनौतियां हैं।’ चीन रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने सैन्य और आर्थिक प्रभाव को तेजी से बढ़ा रहा है जिससे क्षेत्र के विभिन्न देशों और अन्य के लिए चिंता उत्पन्न हो रही है। दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चीन क्षेत्रीय विवाद भड़का रहा है। उसने क्षेत्र में कई द्वीपों पर सैनिक तैनात कर दिए हैं। पोम्पिओ ने जोर दिया कि स्वतंत्रता और अधिनायकवाद के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने इस तर्क को खारिज किया कि तनाव को शांत कर लेना चाहिए और तेजी से आक्रामक हो रही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यूरोप में अमेरिका के दोस्तों को मेरा आमंत्रण हमारे समय के इन मूल्यों के संरक्षण के संबंध में है कि वे विश्व को भविष्य में अच्छा आकार देंगे जैसा कि उन्होंने पूर्व में किया है। हम मिलकर इन मूल्यों की रक्षा करेंगे।’ भाषा