भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने सरकार के पास जमानती बॉन्ड कारोबार में चूक होने के मामले में बैंकों जैसा रिकवरी का कानूनी सहारा के बीमाकताओं के मुद्दे को उठाया है।
आईआरडीएआई में गैर-जीवन की सदस्य टीएल अलामेलु ने नैशनल इंश्योरेंस एकेडमी की तरफ से आयोजित सेमिनार में बोलते हुए कहा, ‘हाल में हम जमानती बॉन्ड दिशानिर्देश लेकर आए थे जिसके लिए जबरदस्त मांग है। हालांकि, हम बीमाकर्ताओं की तरफ से उठाई गई चिंताओं को समझते हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें भी चूक के मामले में रिकवरी के लिए बैंकों जैसा कानूनी सहारा चाहिए। इस पहलू पर सरकार के साथ बातचीत हुई है और उन्होंने आईबीसी संहिता में बीमाकर्ताओं को बैंकों के स्तर पर रखने का प्रयास करने के मुद्दे पर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।’ सामान्य बीमा कंपनियां चूक के मामले में उपलब्ध उपायों के मसले पर भारतीय समझौता अधिनियम और ऋणशोधन अक्षमता तथा दिवालिया संहिता (आईबीसी) में बदलाव कर जमानती बॉन्डों को बैंक गारंटी के स्तर पर लाने की मांग कर रही हैं।
आईआरडीएआई ने सरकार के साथ चर्चा की है लेकिन इस पर तुरंत निर्णय नहीं लिया जा सकता है। इस बीच बीमाकर्ता सीमित आधार पर उत्पाद लॉन्च कर सकते हैं। एक बीमा कार्यकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि इस खंड को और अधिक बढ़ाने के लिए कानून में बदलाव करने की जरूरत है ताकि बीमाकर्ताओं को चूक के मामले में कानूनी सहारा दिया जा सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट भाषण में कहा था कि आपूर्तिकर्ताओं और कार्य ठेकेदारों के लिए अप्रत्यक्ष लागत को घटाने के उद्देश्य से सरकारी खरीद के लिए जमानती बॉन्डों का उपयोग बैंक गारंटी के स्थान पर किया जा सकता है। बीमा उद्योग ने इसे सकारात्मक रूप से लिया था क्योंकि यह परियोजना की व्यवहार्यता में समग्र सुधार वे वित्तपोषण को बढ़ावा देगा।
