ऐपल इंक ने मंगलवार को अपना नया फोन पेश कर दिया। कंपनी ने पहली बार दुनिया के अपने सबसे बड़े बाजारों के साथ भारत में आईफोन 13 उतारा है। इसके प्रमुख बाजारों में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), जर्मनी, ऑस्टे्रेलिया और कुछ अन्य देश शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में ऐपल के उत्पाद वैश्विक स्तर पर आने के तीन-चार हफ्ते बाद ही भारत में पेश किए जाते थे। मगर भारत में भी साथ में ही फोन आना इस बात का साफ संकेत है कि कंपनी की कुल बिक्री में भारत का हिस्सा 1 फीसदी से भी कम होने के बावजूद उसकी अहमियत बढ़ रही है। ऐपल अपने फोनों के उत्पादन और निर्यात के लिए भारत को पहले ही वैश्विक ठिकाना बना चुकी है। अभी तक चीन उसका प्रमुख ठिकाना था।
ऐपल ने भारतीय ग्राहकों को लुभाने के लिए अपने शुरुआती मॉडल (ऐपल आईफोन 13 मिनी) की कीमत पिछले साल अक्टूबर में पेश ऐपल 12 के बराबर रखी है, जबकि नए मॉडल में स्टोरेज क्षमता करीब दोगुनी (128 जीबी) है और सिनेमैटिक मोड जैसे नए फीचर हैं। पहले सिनेमैटिक मोड सबसे महंगे मॉडलों में ही दिया जाता था।
हालांकि जो ग्राहक 17 सितंबर से ऑनलाइन और 24 सितंबर से शोरूम पर खरीद के लिए ऐपल 13 फोन की प्री बुकिंग का विचार कर रहे हैं, वह दूसरा विकल्प भी सोच सकते हैं। अगर आप दुबई जा रहे हैं या वहां से आ रहे हैं तो आपको यही फोन (आईफोन 13 मिनी का शुरुआती मॉडल) 11,586 रुपये कम में मिल सकता है और 1 टेराबाइट (टीबी) क्षमता का आईफोन 13 प्रो मैक्स 47,304 रुपये सस्ता मिल सकता है।
ऐपल इंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक आईफोन मिनी के शुरुआती मॉडल की कीमत भारत में 69,900 रुपये है, लेकिन यह दुबई में 58,341 रुपये में मिल रहा है। प्रो मैक्स की कीमत भारत में 1,79,900 रुपये है, जबकि आप इसे दुबई में 1,32,593 रुपये में खरीद सकते हैं।
अगर आप अमेरिका जा रहे हैं या परिवार का कोई सदस्य वहां से आ रहा तो वहीं से खरीदना बेहतर है। 128 जीबी वाले आईफोन मिनी की कीमत अमेरिका में 51,491 रुपये है, जो भारत से 18,409 रुपये कम है। 1 टीबी क्षमता वाले आईफोन प्रो मैक्स पर तो आप 62,111 रुपये की भारी भरकम बचत कर सकते हैं क्योकि अमेरिका में उसकी कीमत केवल 1,17,789 रुपये है। भारत में फोन महंगे होने की सीधी वजह है। सरकार उन फोन पर कर लगाती है, जो आयात किए जाते हैं।
फोन आयात होकर भारत पहुंचने पर उसकी जो लागत होती है, उसका करीब 44 फीसदी कर उस पर लगा दिया जाता है। इसमें 22 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क लगाया जाता है और उसे लगाने के बाद मिली कीमत पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया जाता है। यही वजह है कि उद्योग के अनुमानों के मुताबिक भारत में 10 में से 7 आईफोन तस्करी के जरिये ही आते हैं। यह स्थिति तब है, जब कंपनी के 70 फीसदी हैंडसेट का उत्पादन उसकी वेंडर फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन भारत में ही कर रही हैं।यह बात भी है कि वैश्विक स्तर पर पेश किए जाने वाले फोन का भारत में उत्पादन कुछ समय बाद शुरू होता है। हालांकि यह अंतर अब कम हो गया है। मसलन देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला मॉडल आईफोन 11 सितंबर 2019 में पेश किया गया था मगर भारत में उसका उत्पादन जून-जुलाई 2020 में शुरू हो सका। किंतु पिछले साल अक्टूबर में पेश आईफोन 12 इस साल मार्च से ही देश में बनना शुरू हो गया। इससे उत्पाद की कीमतें घटाने में मदद मिलती है। मगर कलपुर्जों का अब भी आयात होता है।
उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने तस्करी का मसला उठाया है और सरकार से लागत एवं मालभाड़े के साथ 20,000 रुपये कीमत वाले फोन पर कुल 4,000 रुपये शुल्क लगाने की मांग की है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी इस बात का समर्थन किया है। उसका अनुमान है कि 50,000 रुपये से अधिक कीमत वाले फोन का ग्रे बाजार बढऩे से सरकार को हर साल 2,400 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। लेकिन सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।